
मुंबई में हाल ही में आयोजित भारत कोऑपरेटिव बैंकिंग समिट 2025 के दौरान, वामनिकॉम इन्क्यूबेशन सेंटर से इनक्यूबेटेड स्टार्टअप मेट्टारेव सिस्टम्स ने अपने एआई-संचालित ‘बैंक स्टेटमेंट एनालिसिस (बीएसए)’ प्लेटफॉर्म का औपचारिक शुभारंभ किया।
यह अत्याधुनिक प्लेटफॉर्म क्लाउड-आधारित इंटेलिजेंट एनालिटिक्स की मदद से कोऑपरेटिव बैंकों को ऋण मूल्यांकन को तेज, अधिक सटीक और धोखाधड़ी जोखिमों के प्रति सतर्क बनाने में सक्षम बनाता है। इससे बैंक कर्मचारियों का समय बचेगा और ऋण प्रक्रिया कहीं अधिक कुशल हो सकेगी।
पुणे स्थित वैकुंठ मेहता राष्ट्रीय सहकारी प्रबंधन संस्थान (वामनिकॉम) में स्थापित यह इन्क्यूबेशन सेंटर, सहकारिता मंत्रालय की “सहकार से समृद्धि” पहल का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य सहकारी तंत्र में नवाचार को बढ़ावा देना है। यह केंद्र तकनीकी स्टार्टअप्स को सहयोग प्रदान कर रहा है ताकि वे सहकारी क्षेत्र की जरूरतों के अनुरूप समाधान विकसित कर सकें।
मेट्टारेव सिस्टम्स इस इन्क्यूबेशन मॉडल की सफलता की एक प्रेरणादायक मिसाल बनकर उभरा है। डिजिटल ऋण प्रक्रिया पर केंद्रित इस स्टार्टअप का बीएसए टूल, एआई और मशीन लर्निंग की मदद से उधारकर्ताओं के बैंक विवरणों का विश्लेषण करता है, संभावित धोखाधड़ी को पहचानता है और ऋण स्वीकृति प्रक्रिया को तेज करता है।
खास बात यह है कि यह उपकरण उन अनौपचारिक आय स्रोतों को भी चिन्हित कर सकता है, जिन्हें पारंपरिक बैंकिंग मॉडल अक्सर नज़रअंदाज़ कर देते हैं — जिससे वित्तीय समावेशन को मजबूती मिलती है।
वामनिकॉम इन्क्यूबेशन सेंटर अब तक 40 से अधिक स्टार्टअप्स और सहकारी संस्थाओं के साथ मिलकर कार्य कर चुका है। यह केंद्र पैक्स, स्वयं सहायता समूहों (एसएचजी), और शहरी सहकारी बैंकों के साथ सहयोग कर नवाचार को जमीनी स्तर तक पहुंचा रहा है, और साथ ही नाबार्ड, नेफस्कॉब तथा एनयूसीएफडीसी जैसे संगठनों के साथ मिलकर डिजिटल परिवर्तन को गति दे रहा है।
इन्क्यूबेशन सेंटर के सीओओ डॉ. महेश कदम ने इस अवसर पर कहा, “मेट्टारेव सिस्टम्स का राष्ट्रीय स्तर पर लॉन्च होना केवल एक स्टार्टअप की सफलता नहीं, बल्कि हमारे इन्क्यूबेशन मॉडल की प्रभावशीलता का प्रमाण है।”
उन्होंने बताया कि निकट भविष्य में भारत की पहली कोऑपरेटिव स्टार्टअप रजिस्ट्री, सेक्टर-विशिष्ट नवाचार प्रयोगशालाएं, और जापान, केन्या एवं जर्मनी जैसी देशों की सहकारी संस्थाओं के साथ अंतरराष्ट्रीय साझेदारियां प्रस्तावित हैं।
मेट्टारेव को तकनीकी नवाचार का एक प्रमुख उदाहरण बनाते हुए, वामनिकॉम ने यह सिद्ध किया है कि भारत के सहकारी भविष्य में तकनीक और उद्देश्य का संगम किस तरह से ग्रामीण वित्तीय प्रणाली को एक नई दिशा दे सकता है।