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आईवाईसी-2025 के दौरान हर पंचायत में बने नई कोऑप: शाह

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा है कि अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष-2025 के दौरान सरकार का लक्ष्य देश की हर पंचायत में प्राथमिक कृषि ऋण समिति की स्थापना करना है।

वे रविवार को अहमदाबाद में गुजरात राज्य सहकारी संघ द्वारा आयोजित “विकसित भारत के निर्माण में सहकारिता की भूमिका” विषयक महासम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री भूपेन्द्र पटेल सहित सहकारिता क्षेत्र से जुड़े अनेक लोग उपस्थित थे।

अपने संबोधन में शाह ने बताया कि संयुक्त राष्ट्र ने 2025 को अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि सहकारिता की अवधारणा आज भी उतनी ही प्रासंगिक है जितनी वर्ष 1900 में थी। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में 2021 से सहकारिता आंदोलन को पुनर्जीवित करने का बड़ा प्रयास शुरू हुआ, और इसी के अंतर्गत इस वैश्विक वर्ष की शुरुआत भारत से की जा रही है।

शाह ने बताया कि 2021 में शुरू हुई पहल ‘सहकार से समृद्धि’ और ‘विकसित भारत में सहकारिता की भूमिका’ के दो प्रमुख सूत्रों पर आधारित है। उन्होंने कहा कि सहकारिता क्षेत्र में बदलाव का लाभ तब तक नहीं दिखेगा जब तक वह PACS और किसानों तक नहीं पहुंचेगा। उन्होंने सहकारी संस्थाओं में जागरूकता, प्रशिक्षण और पारदर्शिता बढ़ाने पर बल दिया।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत सरकार ने “साइंस ऑफ कोऑपरेशन” और “साइंस इन कोऑपरेशन” के दो पहलुओं पर कार्य शुरू किया है। उन्होंने यह भी कहा कि आजादी के समय शुरू हुआ सहकारिता आंदोलन कुछ समय बाद देश के कई हिस्सों में समाप्तप्राय हो गया था, लेकिन अब समय आ गया है कि हम उसे फिर से सक्रिय करें और राज्यों, जिलों व पंचायतों तक उसका विस्तार करें।

शाह ने कहा कि मोदी सरकार ने देशभर में सहकारी ढांचे को मजबूत करने के लिए चौथे स्तर को जोड़ा है, जिससे प्राथमिक समितियों से लेकर राष्ट्रीय संस्थानों तक का नेटवर्क एकीकृत रूप से काम कर सके। उन्होंने कहा कि इस दिशा में अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष एक बड़ा अवसर है, जिसका इस्तेमाल हमें जनजागृति और सुधार के लिए करना चाहिए।

उन्होंने बताया कि सहकारी क्षेत्र को मज़बूत करने का यह अभियान तीन स्तंभों पर आधारित है— सहकारिता को शासन के मुख्य प्रवाह में लाना, तकनीक के माध्यम से पारदर्शिता और प्रमाणिकता बढ़ाना, और नागरिकों को सहकारिता आंदोलन से जोड़ना। उन्होंने बताया कि अब तक मंत्रालय द्वारा इस दिशा में 57 से अधिक नवाचार प्रारंभ किए जा चुके हैं।

शाह ने कहा कि सरकार ने पैक्स के सशक्तिकरण के लिए 2029 तक देश की हर पंचायत में पैक्स स्थापित करने का निर्णय लिया है। इसके अंतर्गत करीब 2 लाख नई पैक्स और डेयरियां पंजीकृत की जाएंगी। इसके अलावा, PACS से 22 प्रकार की गतिविधियों को जोड़ा जा रहा है। सरकार जल्द ही लिक्विडेशन में गई पैक्स के निपटारे और नई पैक्स की स्थापना के लिए एक नई नीति भी लाएगी।

केंद्रीय मंत्री ने यह भी जानकारी दी कि केंद्र सरकार ने त्रिभुवन कोऑपरेटिव यूनिवर्सिटी की स्थापना की है, जो राष्ट्रीय स्तर पर सहकारिता शिक्षा और अनुसंधान का कार्य करेगी। देशभर में कोऑपरेटिव से जुड़े विषयों को शिक्षा प्रणाली में शामिल किया जा रहा है ताकि युवा पीढ़ी भी इससे जुड़ सके।

अंत में शाह ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में सहकारी क्षेत्र में अनेक ऐतिहासिक पहल की जा रही हैं। अंतरराष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के दौरान हमें लोगों को जागरूक करना, पारदर्शिता के नए मानक तय करना और भर्तियों को गति देकर देश के सहकारी ढांचे को मजबूती देनी है।

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