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एआरडीबी बैंकिंग लाइसेंस: सहकारिता सचिव से हस्तक्षेप की मांग

दिल्ली स्थित अटल अक्षय ऊर्जा भवन में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय के सचिव आशीष भूटानी की अध्यक्षता में सहकारिता क्षेत्र से जुड़े कई विषयों पर चर्चा करने के लिए हाल ही में एक बैठक का आयोजन किया गया, जिसमें खेती बैंकों के प्रतिनिधियों के अलावा नाबार्ड के चेयरमैन शाजी केवी भी मौजूद थे।

इस मौके पर अन्य महत्वपूर्ण विषयों के अलावा एआरडीबी बैंकों को बैंकिंग लाइसेंस प्रदान करने पर भी चर्चा हुई।

बैठक के दौरान, भूटानी ने पैक्स के कम्प्यूटरीकरण और गुजरात के पंचमहल और बनासकांठा जिलों में शुरू की गई पायलट परियोजना के राष्ट्रव्यापी कार्यान्वयन के लिए एसओपी तैयार करने पर भी बात की।

इस बैठक में भाग लेने के लिए नेफकार्ड के चेयरमैन डॉलर कोटेचा को भी आमंत्रित किया गया था, लेकिन किसी कारणवश वह शामिल नहीं हो सके। कोटेचा की ओर से गुजरात के खेती बैंक के प्रबंध निदेशक के.बी.उपाध्याय, संयुक्त प्रबंध निदेशक वी.एम.चौधरी उपस्थित थे।

बैठक में गुजरात के खेती बैंक के प्रतिनिधियों ने आरबीआई लाइसेंस प्राप्त बैंकों की तर्ज पर एआरडीबी को भी बैंकिंग सेवाएं प्रदान करने के लिए बैंकिंग लाइसेंस देने की मांग की। वर्तमान में, एआरडीबी केवल सार्वजनिक जमा स्वीकार कर सकते हैं लेकिन वे बाजार से अल्पकालिक और बचत जमा उधार नहीं ले सकते हैं। इसके कारण, इन बैंकों को अपने सदस्यों की मांगों को पूरा करने के लिए संसाधनों की भारी कमी का सामना करना पड़ रहा है।

इसके अलावा, एआरबीडी को किसानों के लिए कृषि इंफ्रा फंड, फसल ऋण के लिए ब्याज छूट योजना, शिक्षा ऋण समेत अन्य विभिन्न सरकारी योजनाओं को लागू करने की भी अनुमति नहीं है।

एआरडीबी के प्रतिनिधियों में से एक ने कहा, “आरबीआई ने अब तक एआरडीबी को बैंकिंग लाइसेंस देने के लिए मानदंड निर्धारित नहीं किए हैं। इसलिए खेती बैंकों को सहकारी क्षेत्र में ‘लघु वित्त बैंकों’ के रूप में बैंकिंग लाइसेंस प्रदान के लिए उचित मानदंड तैयार करने चाहिए।”

पाठकों को याद होगा कि आरबीआई के पूर्व डिप्टी गवर्नर जगदीश आर कपूर (1999) की अध्यक्षता में ग्रामीण ऋण प्रणाली को मजबूत करने वाली टास्क फोर्स ने सिफारिश की थी कि एससीएआरडीबी को बीआर अधिनियम 1949 के तहत पूर्ण बैंकों में परिवर्तित किया जाना चाहिए।

देश में 16 एससीएआरडीबी हैं, जिनमें से 13 पूरी तरह से काम कर रहे हैं। कुछ एआरडीबी की वित्तीय स्थिति ठीक है लेकिन कई एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बैंकों का एनपीए काफी बढ़ा हुआ है।

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