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गुजरात के सहकारी बैंकों पर कुल 17 लाख रुपये का जुर्माना

भारतीय रिजर्व बैंक ने मंगलवार को गुजरात के चार अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों पर कुल 17 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है। इन बैंकों में मणिनगर सहकारी बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, जनता सहकारी बैंक लिमिटेड, गोधरा, धनेरा मर्केंटाइल सहकारी बैंक लिमिटेड, धनेरा और सर्वोदय सहकारी बैंक लिमिटेड, मोडासा शामिल हैं।

आरबीआई ने जनता को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, गोधरा, जिला पंचमहल, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘न्यासों और संस्थाओं को दान जहां निदेशक, उनके रिश्तेदार पद पर हैं या हित रखते हैं’ और ‘निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम- जमानतदार/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक- स्पष्टीकरण’ के साथ पठित ‘निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/संस्थाओं को ऋण और अग्रिम जिनमें उनके हित हों’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 3.50 लाख रुपये का मौद्रिक दंड लगाया है।

इसी तरह, मणिनगर को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, अहमदाबाद, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना’ और ‘सहकारी बैंक – जमाराशि पर ब्याज दर’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 1.00 लाख रुपये का मौद्रिक दंड लगाया है।

इसके अलावा, सर्वोदय सहकारी बैंक लिमिटेड, मोदसा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम- जमानतदार/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक- स्पष्टीकरण’ के साथ पठित ‘निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/संस्थाओं को ऋण और अग्रिम जिनमें उनके हित हों’, ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना’ और ‘जमाराशियों पर ब्याज दर- निदेश 2016’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 6.00 लाख रुपये का मौद्रिक दंड लगाया है।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने धानेरा मर्केंटाइल को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड, धानेरा, गुजरात (बैंक) पर भारतीय रिज़र्व बैंक द्वारा जारी ‘निदेशकों, रिश्तेदारों और फर्मों/संस्थाओं, जिनमें उनके हित हों, को ऋण और अग्रिम, ‘निदेशकों आदि को ऋण और अग्रिम- जमानतदार/ गारंटीकर्ता के रूप में निदेशक- स्पष्टीकरण’ और ‘प्राथमिक (शहरी) सहकारी बैंकों (यूसीबी) द्वारा अन्य बैंकों में जमाराशि रखना’ संबंधी निदेशों के अननुपालन के लिए 6.50 लाख रुपये का मौद्रिक दंड लगाया है।

यह दंड, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धाराओं 46 (4) (i) और 56 के साथ पठित धारा 47 ए (1) (सी) के प्रावधानों के अंतर्गत भारतीय रिज़र्व बैंक को प्रदत्त शक्तियों का प्रयोग करते हुए लगाया गया है।

यह कार्रवाई विनियामकीय अनुपालन में कमियों पर आधारित है और इसका उद्देश्य उक्‍त बैंक द्वारा अपने ग्राहकों के साथ किए गए किसी भी लेनदेन या करार की वैधता पर सवाल करना नहीं है।

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