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सहकारी क्षेत्र में विश्व के सबसे बड़े भंडारण को कैबिनेट की मंजूरी

केन्द्रीय मंत्रिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्‍यक्षता में कृषि और किसान कल्‍याण मंत्रालय, उपभोक्‍ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय तथा खाद्य प्रसंस्‍करण उद्योग मंत्रालय की विभिन्‍न योजनाओं के मेल से ”सहकारिता के क्षेत्र में विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना“ के लिए एक अंतर-मंत्रालयीय समिति (आईएमसी) के गठन और सशक्‍तिकरण को मंज़ूरी प्रदान की।

योजना का प्रोफेशनल तरीके से समयबद्ध और एकरूपता के साथ कार्यान्‍वयन सुनिश्चित करने के लिए सहकारिता मंत्रालय देश के विभिन्‍न राज्‍यों/संघराज्‍य क्षेत्रों में कम से कम 10 चुने हुए जिलों में एक पायलट परियोजना चलाएगा।

यह पायलट प्रोजेक्ट, इस योजना की विभिन्‍न क्षेत्रीय आवश्‍यकताओं के संबंध में महत्‍वपूर्ण जानकारी प्रदान करेगा जिसे इस योजना के देशव्‍यापी कार्यान्‍वयन में शामिल किया जाएगा।

इस योजना को संबंधित मंत्रालयों की चिह्नित योजनाओं के तहत उपलब्‍ध कराए गए परिव्‍यय का उपयोग कर कार्यान्वित किया जाएगा।  इस योजना के तहत कन्वर्जेंस के लिए योजनाएं चिह्नित की गई हैं।

मंत्रिमंडलयीय मंज़ूरी के एक सप्‍ताह के भीतर राष्‍ट्रीय स्‍तर की समन्‍वय समिति का गठन किया जाएगा, 15 दिनों के भीतर कार्यान्‍वयन दिशानिर्देश जारी कर दिए जाएंगे, 45 दिनों के भीतर पैक्‍स को भारत सरकार और राज्‍य सरकारों के साथ लिंक करने के लिए एक पोर्टल शुरू किया जाएगा और 45 दिनों के भीतर प्रस्‍ताव का कार्यान्‍वयन शुरू हो जाएगा, पीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के अनुसार।

भारत के प्रधानमंत्री ने सहकारी समितियों की ताकत को उन्‍हें सफल और जीवंत संस्‍थान बनाने में उपयोग करने के लिए प्रयास करने का आह्वान किया है जिससे ‘सहकार से समृद्धि’ की परिकल्‍पना को साकार किया जा सके। इस परिकल्‍पना को साकार करने के लिए सहकारिता मंत्रालय ‘विश्‍व की सबसे बड़ी अन्‍न भंडारण योजना’ लाया है।

इस योजना में पैक्‍स के स्‍तर पर भंडारण गृह, कस्‍टम हायरिंग सेंटर्स, प्रसंस्‍करण इकाई आदि कई तरह की कृषि अवसंरचनाएं स्‍थापित करना शामिल है जिससे पैक्स को बहुउद्देशीय बनाया जा सके। पैक्‍स के स्‍तर पर इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण और उसके आधुनिकीकरण से पर्याप्‍त भंडारण क्षमता निर्माण से खाद्यान्‍नों की बरबादी में कमी आएगी, देश की खाद्य सुरक्षा सशक्‍त होगी और किसानों को अपनी फसलों का बेहतर मूल्‍य प्राप्‍त होगा।

देश में लगभग 1,00,000 प्राथमिक कृषि क्रेडिट समितियां (पैक्‍स) हैं जिनके सदस्य देश के 13 करोड़ से भी अधिक किसान हैं।

भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था के कृषि और ग्रामीण परिदृश्‍य को जमीनी स्‍तर पर बदलने और उनकी ज़मीनी स्तर तक गहरी पहुंच का लाभ लेने के लिए पैक्‍स के स्‍तर पर विकेन्‍द्रीकृत भंडारण क्षमता के साथ-साथ अन्‍य कृषि इन्फ्रास्ट्रक्चर निर्माण के लिए यह पहल की गई है जिससे न केवल देश की खाद्य सुरक्षा सुदृढ़ होगी बल्कि पैक्‍स भी एक वायब्रेंट आर्थिक संस्था के रूप में काम कर सकेंगे।

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