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खाद प्रबंधन: रूपाला ने एनडीडीबी एमआरआईडीए किया लॉन्च

केंद्रीय मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी मंत्री पुरुषोत्तम रूपाला ने सोमवार को पूरे देश में खाद प्रबंधन पहल को आगे बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड की पूर्ण स्वामित्व वाली सहायक कंपनी, एनडीडीबी एमआरआईडीए लिमिटेड का लोकार्पण किया।

इस अवसर पर मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ संजीव कुमार बालियान और मत्स्य पालन, पशुपालन और डेयरी राज्य मंत्री डॉ एल मुरुगन, श्री अतुल चतुर्वेदी, सचिव, डीएएचडी, भारत सरकार, श्री मीनेश शाह, अध्यक्ष, एनडीडीबी, सुश्री वर्षा जोशी, अपर सचिव (सीडीडी), डीएएचडी और श्री संदीप भारती, एनडीडीबी एमआरआईडीए लिमिटेड के नवनियुक्त प्रबंध निदेशक शामिल हुए।

एनडीडीबी एमआरआईडीए लिमिटेड एक असूचीबद्ध पब्लिक लिमिटेड कंपनी है जिसकी स्थापना एनडीडीबी द्वारा 1 जुलाई, 2022 को कंपनी अधिनियम, 2013 के अंतर्गत की गई है, जिसकी चुकता पूंजी 9.50 करोड़ रुपये है, पीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।

इस अवसर पर रूपाला ने कहा कि एनडीडीबी मृदा लिमिटेड डेयरी किसानों को घोल/गोबर की बिक्री से अतिरिक्त आय अर्जित करने का अवसर प्रदान करेगी। उन्होंने कहा कि इससे खाना पकाने वाले ईंधन को बायोगैस से प्रतिस्थापित करते हुए किसानों को बचत करने में सहायता मिलेगी।

मंत्री ने कहा कि गोजातीय गोबर का बेहतर उपयोग करने की दिशा में प्रयास किए जा रहे हैं, लेकिन इनमें से अधिकांश पहल व्यक्तिगत हैं और नई कंपनी के माध्यम से खाद प्रबंधन प्रयासों को संरचनात्मक प्रोत्साहन की प्राप्ति होगी।

केंद्रीय मंत्री ने कहा कि गोबर आधारित खाद का उपयोग बढ़ने से धीरे-धीरे जैविक खाद को रासायनिक उर्वरकों के साथ प्रतिस्थापित करने में मदद मिलेगी, जिससे आयात पर भारत की निर्भरता में कमी आएगी।

इस अवसर पर, डॉ बालियान ने एनडीडीबी एमआरआईडीए लिमिटेड पर एक विवरण पुस्तिका जारी किया और डॉ मुरुगन ने एनडीडीबी एमआरआईडीए लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक को एनडीडीबी का ‘सुधन’ ट्रेडमार्क सौंपा।

अपने भाषण में डॉ बालियान ने कहा कि यह अपने प्रकार की पहली कंपनी है जो खाद प्रबंधन मूल्य श्रृंखला का निर्माण कर गोबर के कुशल उपयोग पर ध्यान केंद्रित कर रही है, जिससे डेयरी किसानों की आजीविका बढ़ाने में बहुत मदद मिलेगी और साथ ही साथ यह स्वच्छ भारत अभियान और हरित ऊर्जा को बढ़ावा देने में भी मदद करेगी।

डॉ मुरुगन ने कहा कि खाद प्रबंधन पहलों में यह क्षमता है कि वह भारत की वर्तमान एलपीजी खपत का 50 प्रतिशत बायोगैस उत्पन्न कर सकती है और भारत की एनपीके आवश्यकता का 44 प्रतिशत जैव घोल का उत्पादन कर सकती है।

चतुर्वेदी ने कहा कि एनडीडीबी द्वारा डेयरी संयंत्रों की ऊर्जा आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए मवेशियों के गोबर का उपयोग करने वाली परियोजनाएं भी शुरू की गई हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार की पहली परियोजना की आधारशिला माननीय प्रधानमंत्री द्वारा 23 दिसंबर, 2021 को वाराणसी में रखी गई थी। एनडीडीबी ने गोबर आधारित जैविक उर्वरकों को सामान्य पहचान देने के लिए “सुधन” नामक एक ट्रेडमार्क भी पंजीकृत किया है।

एनडीडीबी अध्यक्ष शाह ने कहा कि एनडीडीबी मृदा लिमिटेड द्वारा डेयरी संयंत्रों के लिए खाद मूल्य श्रृंखला, बायोगैस आधारित सीएनजी उत्पादन, बायोगैस आधारित ऊर्जा उत्पादन की स्थापना भी की जाएगी।

उन्होंने कहा कि नई कंपनी द्वारा मवेशियों के गोबर का उपयोग विभिन्न उद्योगों में विभिन्न अनुप्रयोगों के घटक के रूप में करने तथा पारंपरिक लकड़ी, मिट्टी, पेंट आदि के स्थान पर इसका कुशलतापूर्वक उपयोग करने की संभावनाओं का पता लगाया जाएगा।

एनडीडीबी और एनडीडीबी मृदा लिमिटेड के अध्यक्ष ने कहा कि कंपनी द्वारा कुशल गोबर प्रबंधन करने के लिए लागत प्रभावी प्रौद्योगिकियों पर अनुसंधान और विकास किया जाएगा और मवेशियों के गोबर-आधारित उत्पादों की बिक्री के माध्यम से ग्रामीण स्तर पर राजस्व उत्पादन मॉडल स्थापित करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

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