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आरबीआई ने यूसीबी के लिए संशोधित नियामक ढांचा किया जारी

आरबीआई ने जमा राशि के आकार के आधार पर अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों के लिए एक चार स्तरीय ढांचा तैयार किया है। जिसे हम अपने पाठकों के लिए नीचे हूबहू पेश कर रहे हैं।

भारतीय रिज़र्व बैंक ने, बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (सहकारी समितियों पर यथा लागू) में हाल ही में किए गए संशोधनों के तत्वावधान में शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के मुद्दों की जांच करने, मध्यावधि रोड मैप प्रदान करने, शहरी सहकारी बैंकों के त्वरित समाधान के उपाय संबंधी सुझाव देने और इस क्षेत्र को सुदृढ़ बनाने हेतु उपयुक्त विनियामक / पर्यवेक्षी बदलावों की सिफारिश करने के लिए, 15 फरवरी 2021 को श्री एन. एस. विश्वनाथन, पूर्व उप गवर्नर, भारतीय रिज़र्व बैंक की अध्यक्षता में शहरी सहकारी बैंकों पर विशेषज्ञ समिति (समिति) का गठन किया था।

विशेषज्ञ समिति द्वारा प्रस्तुत रिपोर्ट को 23 अगस्त 2021 को हितधारकों और आम जनता की टिप्पणियों के लिए आरबीआई की वेबसाइट पर रखा गया था। प्राप्त फीडबैक को ध्यान में रखते हुए समिति की सिफारिशों की जांच की गई, ताकि उन्हें क्रियान्वित किया जा सके।

समिति ने, अन्य बातों के साथ-साथ, बैंकों की जमाराशियों के आकार और उनके परिचालन क्षेत्र के आधार पर एक चार-स्तरीय विनियामक ढांचे की सिफारिश की। निवल मालियत, जोखिम-भारित आस्तियों की तुलना में पूंजी अनुपात (सीआरएआर), शाखा विस्तार और एक्सपोज़र सीमा जैसे प्रमुख मापदंडों के लिए मुख्य रूप से विभेदित विनियामक दृष्टिकोण की सिफारिश की गई थी। छत्र संगठन (यूओ) की सदस्यता को भी सिफारिशों का एक महत्वपूर्ण भाग माना गया है।

सिफारिशों की जांच करते समय, यूसीबी को सुविधाजनक निकटवर्ती बैंकों में बदलने की समिति की विजन और क्षेत्र की विविधता को विधिवत ध्यान में रखा गया है।

इस क्षेत्र को और अधिक सुदृढ़ बनाने और इसकी व्यवस्थित संवृद्धि को समर्थन देने हेतु, पूंजीगत अपेक्षाओं पर उपयुक्त रूप से पुनर्विचार (रिकैलिब्रेट) किया गया है। इसके अलावा, इस क्षेत्र के गैर-विघटनकारी बदलाव के लिए एक उपयुक्त ग्लाइड पथ भी प्रदान किया गया है। मजबूत शहरी सहकारी बैंकों को अधिक परिचालनगत लचीलापन प्रदान करके भी इस क्षेत्र के सुदृढीकरण के उपायों को पूरक बनाया जा रहा है ताकि वे ऋण मध्यस्थता में अपनी वांछित भूमिका निभा सके।

स्वीकृत प्रमुख सिफ़ारिशें निम्नानुसार हैं:

  1. मौजूदा शहरी सहकारी बैंकों1 की वित्तीय सुदृढ़ता को मजबूत करने के उद्देश्य से विभेदित विनियामक विधि के साथ एक सरल चार-स्तरीय नियामक ढांचे को अपनाने का निर्णय लिया गया है। विशेष रूप से, एक जिले में कार्यरत टियर 1 यूसीबी के लिए ₹2 करोड़ और अन्य सभी यूसीबी (सभी टियर) के लिए ₹5 करोड़ की न्यूनतम निवल मालियत निर्धारित की गई है। इससे बैंकों की वित्तीय आघात सहनीयता को मजबूत करने और उनकी संवृद्धि के निधीयन हेतु उनकी क्षमता वृद्धि की उम्मीद है। 31 मार्च 2021 तक शहरी सहकारी बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश बैंक पहले से ही इन अपेक्षाओं का अनुपालन कर रहे हैं। जो यूसीबी इस अपेक्षा को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें संशोधित मापदंडों में सुगमता से परिवर्तन की सुविधा के लिए मध्यवर्ती माइलस्टोन के साथ पांच वर्ष का एक ग्लाइड पथ प्रदान किया जाएगा।

  2. बेसल I पर आधारित वर्तमान पूंजी पर्याप्तता ढांचे के तहत टियर 1 बैंकों के लिए न्यूनतम सीआरएआर अपेक्षा को वर्तमान में निर्धारित 9% पर बरकरार रखा गया है। टियर 2, टियर 3 और टियर 4 यूसीबी के लिए, वर्तमान पूंजी पर्याप्तता ढांचे को बनाए रखते हुए, न्यूनतम सीआरएआर को 12% तक संशोधित करने का निर्णय लिया गया है ताकि उनकी पूंजीगत संरचना को मजबूत किया जा सके। सीआरएआर की अपेक्षा में वृद्धि उचित है, क्योंकि इन यूसीबी के पास बाजार जोखिम के लिए पूर्ण पूंजी प्रभार नहीं है और वर्तमान में परिचालनगत जोखिम के लिए कोई पूंजी प्रभार नहीं रखते हैं। 31 मार्च 2021 तक बैंकों द्वारा रिपोर्ट किए गए आंकड़ों के अनुसार, अधिकांश यूसीबी (1534 में से 1274 बैंक)2 के पास सीआरएआर 12% से अधिक हैं। इसके अलावा, जो बैंक संशोधित सीआरएआर को पूरा नहीं करते हैं, उन्हें चरणबद्ध तरीके से इसे प्राप्त करने के लिए तीन वर्ष का ग्लाइड पथ प्रदान किया जाएगा। तदनुसार, इन बैंकों को 31 मार्च 2024 को समाप्त वित्तीय वर्ष तक 10%, 31 मार्च 2025 तक 11% और 31 मार्च 2026 तक 12% सीआरएआर प्राप्त करना होगा।

  3. इस क्षेत्र में संवृद्धि के अवसरों को बढ़ावा देने के लिए उन यूसीबी को, जो संशोधित वित्तीय रूप से सुदृढ़ और सुप्रबंधित (एफएसडब्ल्यू) मापदंडों को पूरा करते हैं, के शाखा विस्तार हेतु स्वचालित मार्ग शुरू करने का और उन्हें पिछले वित्तीय वर्ष के अंत में शाखाओं की संख्या के 10% तक नई शाखाएँ खोलने की अनुमति देने का निर्णय लिया गया है। जबकि पूर्व अनुमोदन मार्ग के अंतर्गत शाखा विस्तार के प्रस्तावों को भी अब तक की तरह ही जांच की जाती रहेगी, नई शाखाएं खोलने के लिए अनुमोदन प्रदान करने में लगने वाले समय को कम करने के लिए प्रक्रिया को सरल बनाया जाएगा।

  4. आवास ऋणों के संबंध में, केवल मूल्य की तुलना में ऋण (एलटीवी) अनुपात के आधार पर जोखिम भार आवंटित करने का निर्णय लिया गया है, जिसके परिणामस्वरूप पूंजी बचत होगी। यह यूसीबी के सभी टियर पर लागू होगा।

  5. अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों की तर्ज पर पुनर्मूल्यन आरक्षित निधियों को लागू छूट के अधीन टियर- I पूंजी में शामिल करने पर विचार किया जाएगा।

  6. बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 (यथा संशोधित) (सहकारी समितियों पर यथा लागू) की धारा 12 के प्रावधानों के अंतर्गत पूंजीगत वृद्धि के लिए सिफारिश से संबंधित मुद्दों की जांच करने के लिए एक कार्य समूह का गठन किया गया है, जिसमें आरबीआई, सेबी और सहकारिता मंत्रालय, भारत सरकार के प्रतिनिधि शामिल हैं।

  7. समिति ने यूसीबी क्षेत्र के लिए छत्र संगठन के संबंध में कुछ सिफारिशें भी की हैं जिनकी जांच, संस्था का पूर्ण रूप से परिचालन प्रारंभ होने के बाद की जाएगी।

सिफारिशों की एक सूची जो पूर्ण रूप से स्वीकार की गई हैं, आंशिक रूप से उपयुक्त संशोधनों के साथ स्वीकार की गई हैं और जिनकी आगे फिर से जांच की जानी है, अनुबंध में दी गई है। संशोधित अनुदेश, जहां आवश्यक हो, यथासमय अलग से जारी किए जाएंगे, आरबीआई की ओर से जारी परिपत्र के मुताबिक।

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