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जीरो बजट प्राकृतिक खेती पर सरकार का जोर

देश के विभिन्न हिस्सों से शून्य बजट प्राकृतिक खेती (जेडबीएनएफ) के कार्यान्वयन के साक्ष्य इंगित करते हैं कि जेडबीएनएफ की ओर बदलाव लागत को काफी कम करने में मदद करता है।

प्राकृतिक पोषक चक्र पर आधारित एक रासायन मुक्त प्रणाली होने के नाते, यह सुरक्षित भोजन और मिट्टी के स्वास्थ्य की बहाली सुनिश्चित करता है।

सरकार प्राकृतिक खेती सहित पारंपरिक स्वदेशी प्रथाओं को बढ़ावा देने के लिए परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) की एक उप योजना के रूप में 2020-21 के दौरान शुरू की गई भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति (बीपीकेपी) के माध्यम से प्राकृतिक खेती को बढ़ावा दे रही है।

यह योजना मुख्य रूप से सभी सिंथेटिक रासायनिक आदानों के बहिष्कार पर जोर देती है और बायोमास मल्चिंग, गाय के गोबर-मूत्र फॉर्मूलेशन के उपयोग और अन्य पौधे आधारित तैयारी पर मुख्य रूप से जोर देने के साथ ऑन-फार्म बायोमास रीसाइक्लिंग को बढ़ावा देती है।

बीपीकेपी के तहत क्लस्टर निर्माण, क्षमता निर्माण और प्रशिक्षित कर्मियों द्वारा निरंतर हैंडहोल्डिंग, प्रमाणीकरण और अवशेष  विश्लेषण के लिए 3 साल के लिए की वित्तीय सहायता प्रदान की जाती है।

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