एन.सी.सी.टी.

एनसीसीटी लेखा परीक्षा में कई बकाएदारों को किया उजागर

एनसीसीटी ने अपने ऑडिट में आईसीएम और आरआईसीएम संस्थाओं के कई अधिकारियों समेत संस्थाओं के अध्यक्ष को देश भर में कदाचार में लिप्त होने का खुलासा किया है।

नवीनतम पीड़ितों में से एक वेमनीकॉम के प्रोफेसर पी चंटोपाध्याय ने वेतन का भुगतान न करने के लिए हर तरफ शिकायत की है। उन्होंने संस्था के निदेशक संजीव पतजोशी पर पिछले आठ महीने से वेतन जारी न करने का आरोप लगाया है।

चटोपाध्याया ने भारतीय सहकारिता से बातचीत में कहा कि “मुझे कई महीने से वेतन नहीं मिल रहा, जिसने कई कठिनाईयों को जन्म दिया है।” इससे पहले इससे संबधित मुद्दे पर एनसीयूआई मंत्रालय के अधिकारियों को एसएमएस के माध्यम से सूचित किया था।

वेमनीकॉम के निदेशक संजीव पतजोशी ने चतोपाध्याय के आरोपों का खंडन करते हुए कहा की उनका यह आरोप गलत है कि उन्हे वेतन नहीं दिया जा रहा। उन्होंने अपनी बात समझाते हुए कहा कि उन पर पहले से ही बकाया है जिसे हम नजर अंदाज नहीं कर सकते।

प्रोफेसर चटोपाध्याय हॉस्टल में रहते थे जिसके लिए उन्हें एचआरए भी मिलता था इसका खुलासा एनसीसीटी के ऑडिट से हुआ।

बाद में एनसीसीटी ने पत्र लिखकर दबाव देते हुए कहा कि इसमें हम क्या कर सकते हैं। करीब 70-80 हजार रुपये की राशि उनपर बकाया है। इतना ही नहीं, इन्हें जो 2013 के ट्रेनिंग कार्य्रक्रम में चेक मिला था, वे भी उन्होंने वापस नहीं किया। प्रोफेसर ने इसके अलावा संस्थान का लैपटोप भी अपने पास रखा हुआ है।

पतजोशी ने कहा कि हम इनके वेतन में से कटौती करेंगे अगर इन्होंने संस्थान का सामान वापस नहीं किए। उन्होंने आगे कहा कि अभी तो इन्हें पुरा वेतन दिया जा रहा है मगर इनके वेतन से कटौती की शुरूआत की जा रही है।

हालांकि एनसीसीटी के सचीव मोहन मिश्रा ने बकायदारों की जानकारी साझा करने से साफ इनकार किया है। सूत्रों का कहना है कि कई निर्वाचित अध्यक्ष संस्थान को अपनी निजी जागीर की तरह प्रयोग में लाते हैं और कैम्पस में राजनीतिक बैठकें निजी फायदे के लिए आयोजित करते है।

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