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अशोक बजाज की नाबार्ड के अध्यक्ष से मुलाकात

छत्तीसगढ़ राज्य सहकारी बैंक की ओर से एवं प्रदेश के सहकारी आन्दोलन की ओर से में छत्तीसगढ़ में पधारे राष्ट्रीय कृषि एवं ग्रामीण विकास बेंक के अध्यक्ष का प्रथम प्रदेश आगमन पर हार्दिक स्वागत करता हूँ ।

नाबार्ड एवं सहकारी बैंकों का अटूट संबंध रहा है फ्रेन्ड, फिलास्फर एवं गाइड के रूप में नाबार्ड द्वारा अपनी भूमिका का निर्वहन बेहद सरलता एवं सहजता के साथ लंबे समय से किया जा रहा है।

छत्तीसगढ़ प्रदेश 15 वर्ष पूर्व तत्कालीन प्रधानमंत्री माननीय श्री अटल बिहारी बाजपेई जी द्वारा नवीन राज्य के गठन के रूप में सर्वप्रथम अस्तित्व में आया था। यह हमारे देश का दसवा बड़ा राज्य है।

राज्य के निर्माण के साथ ही राज्य का विकास दु्रत गति से हो रहा है। प्रदेश के यशस्वी मुख्यमंत्री माननीय डां. रमन सिंह जी के नेतृत्व में राज्य द्वारा कृषि के क्षेत्रा में भी उत्तरोत्तर एवं उल्लेखनीय प्रगति की है। हमें कृषि के क्षेत्रा में धान के लिये तीन बार एवं दलहन के लिये इस वर्ष कृषि कर्मण पुरस्कार से नवाजा गया है। राज्य के गठन के समय वर्ष 2000-01 में राशि रू. 160.00 करोड़ का कृषि ऋण वितरित किया जाता था, जो बढ़कर वर्ष 2014-15 में 3000.00 करोड़ हो गया है। देश में पहली बार छत्तीसगढ़ ने किसानों के कृषि ऋण को सस्ता किया तथा ब्याज राहत योजना का प्रारंभ 2004-05 में हुआ। तत्समय 14 प्रतिशत से 16 प्रतिशत दर पर कृषि ऋण वितरण किया जा रहा था। आज हमारे प्रदेश में 0 प्रतिशत ब्याज दर पर कृषि ऋणों का वितरण किया जा रहा है, कृषि ऋणों की ब्याज दरों में कमी करने का स्पष्ट एवं सकारात्मक परिणाम कृषि के लिये वितरित किये जाने वाले कृषि ऋणों पर पड़ा। फलस्वरूप वर्ष 2014-15 में राज्य में लगभग 3000 करोड़ से अधिक के कृषि ऋण सहकारी समितियों के माध्यम से वितरित किये गये। नाबार्ड द्वारा वर्ष 2014-15 में पुर्नवित्त सहायता वितरित ऋण पर 55 प्रतिशत के मान से राशि रू. 1397 करोड़ की राशि प्रदान की गई थी। परंतु वर्ष 2015-16 में इसे कम कर 45 प्रतिशत कर दिया गया, जिससे अभी तक मात्रा राशि रू. 926 करोड़ की पुर्नवित्त सहायता का लाभ उठा सके है। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थिति एवं आधे से ज्यादा जिले नक्सल प्रभावित होने के कारण इसे विशेष परिस्थिति मानते हुए पुर्नवित्त के प्रतिशत को बढ़ाकर 60 प्रतिशत निर्धारित किया जावे।

राज्य के दो बैंक परिस्थितिजन्य कारणों से धारा 11-(1) के अनुपालन में असमर्थ हो गए हैं। इन्हें भी इस धारा के अनुपालन में छूट प्रदान की जावे। इन बैंकों द्वारा नाबार्ड के निर्देशानुसार एक कार्य योजना धारा 11(1) के अनुपालन हेतु तैयार की है। हम इसकी मानिटरिंग कड़ाई से करेगें।

वैद्यनाथन कमेटी की अनुशंसा के आधार पर निष्पादित किये गये एम.ओ.यू. के अनुरूप विशेष आडिट के पश्चात नाबार्ड द्वारा अल्पकालीन सहकारी साख संरचना हेतु जो पैकेज स्वीकृत किया गया था उसमें केन्द्र शासन द्वारा निर्धारित राशि रू. 371.75 करोड़ के विरूद्ध राशि रू. 162.68 करोड़ की राशि ही उपलब्ध कराई गई है। आप से अनुरोध हे कि इस संबंध में आवश्यक पहल कर सहकारी समितियों का केन्द्र शासन के हिस्से की राशि रू. 209.07 करोड़ दिलाने का कष्ट करें।

आर. आई. डी. एफ. योजनांतर्गत भी हमारे प्रदेश में 700 गोदाम सहकारी समितियों को नाबार्ड द्वारा वर्ष 2012 में स्वीकृत किया गया था। उक्त गोदामों के निर्माण में ग्रामीण भंडारण योजना के अंतर्गत 25 प्रतिशत अनुदान का प्रावधान है। परंतु समयावधि में गोदाम निर्माण पूर्ण कर लेने के पश्चात भी 468 सहकारी समितियों को राशि रू. 819 लाख का अनुदान अभी भी प्राप्त नहीं हुआ है। अतः आग्रह है कि सहकारी समितियों को अनुदान की राशि रू. 819 लाख शीघ्र दिलाने का कष्ट करें।

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