केंद्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने भारत में सहकारी क्षेत्र की कड़ी आलोचना की है। स्वतंत्र पेशेवर संगठनों के रूप में सहकारी समितियों को पुनर्गठित किया जाए ताकि वे देश में समावेशी आर्थिक विकास के लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते है।
इफको द्वारा आयोजित सम्मेलन में अपने भाषण में पवार ने कहा कि आम लोग सहकारी क्षेत्र से निराश होने लगे हैं और समय आ गया है जब सहकारी समितियों को अपने में सुधार लाने की जरुरत है।
पवार के अनुसार, अच्छा और प्रभावशाली शासन का कोई विकल्प नही है। ईमानदारी और दक्षता की कमी से सहकारी क्षेत्र बर्बाद हो सकता है।
पवार ने कहा कि भारत में सहकारी आंदोलन की लाखों इकाईयाँ है और 25 करोड़ लोग इस संस्थागत नेटवर्क में शामिल है। सहकारी समितियाँ विभिन्न क्षेत्रों में काम करती है और इसलिए देश के आर्थिक विकास पर उनके प्रभाव साफ दिखते है।
मंत्री ने देश भर में सहकारी संस्थाओं के विकास को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका के लिए इफको की प्रशंसा की।
पवार ने कहा कि हालिया संवैधानिक संशोधन, बहु राज्य सहकारी अधिनियम में परिवर्तन और सहकारी समितियों पर एक राष्ट्रीय नीति की घोषणा इन सबसे देश में सहकारी आंदोलन को भारी मजबूती मिलेगी।