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नागपुर सहकारी बैंक: कानून का मजाक

जैसा कि कहा जाता है,“न्याय में देरी का मतलब न्याय से वंचित होना होता है।” यह कहावत वास्तव में हमारी न्यायिक व्यवस्था को परिभाषित करता है।

नागपुर जिला सहकारी बैंक में हुए घोटाले के मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट के आदेश का अभी तक निचली अदालत द्वारा पालन नही किया गया है। अभी तक आरोप भी तय नहीं हुए है, दस साल हो गए है।

न्यायिक देरी बैंक के अस्तित्व के लिए खतरा है, आरोप है कि कांग्रेस के एक पूर्व विधायक, बैंक के तत्कालीन अध्यक्ष ने संदिग्ध सौदे में 150 करोड़ रु. डाल दिया था।

एक प्रभावशाली राजनीतिज्ञ बोने का लाभ उठाया जा रहा है और न्यायिक प्रक्रियाओं को ध्वस्त करने की कोशिश हो रही है।

कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि मामले में अभियोजन के लिए केस तैयार किया जाना चाहिए और उच्च न्यायपालिका को निचली अदालत से निष्पक्ष आधार पर मामले को सलटाने को कहा जाना चाहिए। अन्यथा, यह कानून का मजाक बनकर ही रह जाएगा।

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