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महाराष्ट्र में सहकारिता आन्दोलन पतन की ओर

महाराष्ट्र विद्युत नियामक आयोग ने गत २९ जनवरी को 2, 300 करोड़ रुपए की बकाया राशि का भुगतान करने में असफल रहने के कारण राज्य के एकमात्र सहकारी क्षेत्र की बिजली वितरण कंपनी- मूला प्रवर इलेक्ट्रिक सहकारी सोसायटी (MPECS) को आदेश दिया कि वह अपना संचालन  राज्य के स्वामित्व वाली कंपनी के सुपूर्द कर दे.

आदेशानुसार, MERC को अपने सभी संचालन को सौंपना होगा क्योंकि MERC 1977 से बकाये का भुगतान नहीं कर पायी है. 1 फ़रवरी से लागू होने वाले इस आदेश पर इसके अध्यक्ष वी पी राजा, सदस्य – वी एल. शोनवने, और सचिव -के एन खवरे के हस्ताक्षर हैं.  MERC ने अगले महीने से MSEDCL के वितरण लाइसेंस को संशोधित कर दिया है जिससे कि MPECS का मौजूदा अधिकार क्षेत्र शामिल हो सके.

MPECS पिछले कुछ दशकों से 183 गांवों में बिजली की आपूर्ति करता रहा है जो अहमदनगर जिले के लगभग 1900  वर्ग किमी के क्षेत्रफल में फैला है.

इस कदम से अहमदनगर के प्रमुख विखे पाटील परिवार के लिए एक राजनीतिक झटका लगा है. बालासाहेब विखे  एक पूर्व केंद्रीय मंत्री हैं और उनके पुत्र राधाकृष्ण राज्य मंत्रिमंडल में एक सदस्य हैं.

इसी परिवार ने MPECS की अस्थापना की थी. पिता पुत्र की जोड़ी विवादास्पद सहकारी समिति, जिसके 1.70 लाख से अधिक सदस्य हैं, के मुख्य पैरोकार हैं.

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