
कृषि और किसान कल्याण मंत्रालय ने हाल ही में नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में “एग्री स्टैक पर राष्ट्रीय सम्मेलन: डेटा की डिलीवरी में तब्दीली” का आयोजन किया। यह सम्मेलन डिजिटल कृषि मिशन के तहत एग्री स्टैक के क्रियान्वयन को गति देने, राज्यों की भागीदारी को मजबूत करने और भविष्य की दिशा तय करने के लिए एक अहम मंच बना।
सम्मेलन की शुरुआत कृषि सचिव देवेश चतुर्वेदी के स्वागत भाषण से हुई, जिसमें उन्होंने पारदर्शी और किसान-केंद्रित शासन के लिए तकनीक के उपयोग की सरकार की प्रतिबद्धता दोहराई। उन्होंने राज्यों से आग्रह किया कि वे अपनी किसान रजिस्ट्री को अद्यतन भूमि रिकॉर्ड के साथ जोड़ें और योजना वितरण के लिए डिजिटल डाटा का सक्रिय उपयोग करें।
भूमि संसाधन विभाग के सचिव ने डिजिटल भूमि रिकॉर्ड और आधार सीडिंग के माध्यम से किसान की सटीक पहचान की आवश्यकता पर बल दिया। वहीं, कृषि मंत्रालय के अतिरिक्त सचिव (डिजिटल) श्री प्रमोद कुमार मेहरदा ने एग्री स्टैक के तहत पीएम-किसान, पीएमएफबीवाई, केसीसी जैसी योजनाओं को एकीकृत करने की जानकारी दी और डाटा गुणवत्ता, जियोरेफरेंसिंग और यूनिफाइड फार्मर सर्विस इंटरफेस (यूएफएसआई) मानकों के पालन की जरूरत पर प्रकाश डाला।
सम्मेलन के दौरान कई नई सेवाओं की शुरुआत की गई, जिनमें किसान प्राधिकरण प्रणाली और डिजिटल वेरिफायबल सर्टिफिकेट शामिल हैं। इनसे किसानों को भूमि व फसल संबंधी जानकारी सुरक्षित तरीके से साझा करने का अधिकार मिलेगा।
इस मौके पर महाराष्ट्र, केरल, बिहार और ओडिशा के साथ समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए। साथ ही राष्ट्रीय किसान कल्याण कार्यक्रम कार्यान्वयन सोसाइटी (एनएफडब्लूपीआईएस) और सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के बीच गठजोड़ भी हुआ, जो किसानों को डिजिटल प्रमाणीकरण के माध्यम से ऋण तक आसान पहुंच सुनिश्चित करेगा।
सम्मेलन में कृषि और भूमि संसाधन सचिवों तथा अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने संयुक्त रूप से 6,000 करोड़ रुपये की विशेष केंद्रीय सहायता का एलान किया, जिसमें 4,000 करोड़ रुपये किसान रजिस्ट्री और 2,000 करोड़ रुपये डिजिटल फसल सर्वेक्षण के लिए तय किए गए हैं।
तकनीकी सत्रों में राज्यों के डिजिटल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मज़बूत करने, डेटा की गुणवत्ता सुधारने और डीसीएस मानकों के पालन की रणनीतियों पर चर्चा की गई। महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और कर्नाटक ने एग्री स्टैक के उपयोग पर अपने अनुभव साझा किए।
सम्मेलन के विशेष सत्र में किसान पहचान पत्र का प्रदर्शन हुआ, जिसे डिजिलॉकर से जोड़ा गया है। इसमें ओटीपी-आधारित लॉगिन, बहुभाषी सपोर्ट और शिकायत निवारण पोर्टल जैसी सुविधाएं भी जोड़ी गई हैं।
इसके अलावा, मंत्रालय ने गूगल जेमिनी के सहयोग से विकसित बहुभाषी एआई-आधारित चैटबॉट का प्रदर्शन किया, जो किसानों के सवालों का जवाब देने में सक्षम है। एआई टूल्स का उपयोग फसल पहचान, सर्वेक्षण प्रमाणीकरण और बैकएंड इंटीग्रेशन के लिए भी किया जा रहा है।
सम्मेलन का समापन एक खुले संवाद सत्र से हुआ, जिसकी अध्यक्षता अतिरिक्त सचिव (डिजिटल) ने की। राज्यों से फीडबैक लेकर समावेशी और डेटा-आधारित कृषि विकास के साझा विजन पर केंद्र की प्रतिबद्धता को दोहराया गया। उप सलाहकार श्री अनिंद्य बनर्जी ने धन्यवाद प्रस्ताव देते हुए सहयोगी भावना की सराहना की।
यह सम्मेलन भारत के कृषि क्षेत्र को तकनीक आधारित, पारदर्शी और किसान हितैषी बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।