
एक बड़े घटनाक्रम में भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने पुणे स्थित विश्वेश्वर सहकारी बैंक को शेड्यूल्ड बैंक का दर्जा प्रदान किया है।
यह उपलब्धि न केवल बैंक के लिए, बल्कि पूरे सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए एक ऐतिहासिक क्षण मानी जा रही है, क्योंकि आरबीआई ने लगभग दो दशकों के अंतराल के बाद किसी शहरी सहकारी बैंक को यह दर्जा दिया है।
इसकी औपचारिक घोषणा मंगलवार को हुई, जिससे देशभर के शहरी सहकारी बैंकों के बीच खुशी की लहर दौड़ गई।
भारतीय सहकारिता से विशेष बातचीत में बैंक के अध्यक्ष अनिल गाडवे ने इस उपलब्धि पर प्रसन्नता व्यक्त की। उन्होंने कहा, “शेड्यूल्ड बैंक बनना हमारे लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। बैंक ने यह दर्जा प्राप्त करने के लिए करीब दो से तीन वर्ष पहले आवेदन किया था और विशेष रूप से पिछले एक वर्ष में लगातार प्रयासों के बाद यह सपना साकार हुआ।”
बैंक का कुल व्यवसाय 3,800 करोड़ रुपये से अधिक है, जबकि वित्त वर्ष 2024–25 में बैंक ने 17 करोड़ रुपये का शुद्ध लाभ अर्जित किया है। बैंक की 30 शाखाओं का एक मजबूत नेटवर्क है। शहरी महाराष्ट्र में अपनी मजबूत पकड़ के बाद अब बैंक ग्रामीण क्षेत्रों में विस्तार की योजना बना रहा है, जिसमें यह नया दर्जा सहायक सिद्ध होगा।
यह भी उल्लेखनीय है कि शहरी सहकारी बैंकों को शेड्यूल्ड बैंक का दर्जा दिलाने में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय और विशेष रूप से केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह की अहम भूमिका रही है। केंद्र सरकार ने वर्ष 2023 में टियर-3 और टियर-4 श्रेणी के शहरी सहकारी बैंकों को आरबीआई अधिनियम, 1934 की अनुसूची-द्वितीय में शामिल करने की अनुमति दी थी, जिससे वे शेड्यूल्ड बैंक बनने के पात्र बन सके।
मुंबई स्थित मॉडल कोऑपरेटिव बैंक, उत्तराखंड की कुर्मांचल सहकारी बैंक, पुणे पीपल्स कोऑपरेटिव बैंक, तेलंगाना की अग्रसेन सहकारी अर्बन बैंक, विशाखापट्टनम सहकारी अर्बन बैंक और देवगिरी नागरी सहकारी बैंक सहित कई अन्य प्रमुख सहकारी बैंकों ने भी शेड्यूल्ड दर्जा प्राप्त करने में रुचि दिखाई है।
विश्वेश्वर बैंक को मिला यह दर्जा अन्य बैंकों के लिए भी प्रेरणा बनेगा और निकट भविष्य में और भी सहकारी बैंकों को यह मान्यता मिलने की संभावना है।
शेड्यूल्ड बैंक का दर्जा न केवल बैंक की प्रतिष्ठा बढ़ाता है, बल्कि इससे बैंक आरबीआई से कम ब्याज दर पर धनराशि प्राप्त कर सकते हैं, क्लियरिंग हाउस प्रणाली में भाग ले सकते हैं, और सरकारी परियोजनाओं में ऋण प्रदान कर सकते हैं, जिससे बैंक को कारोबार बढ़ाने में काफी मदद मिलती है।
31 मार्च 2024 तक, देश में कुल 1,423 शहरी सहकारी बैंकों में से केवल 49 बैंक शेड्यूल्ड बैंक की श्रेणी में आते हैं, जिनका कुल व्यवसाय मिश्रण लगभग 4.13 लाख करोड़ रुपये था।