
पुणे स्थित वेमनीकॉम में आयोजित तीन दिवसीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का समापन रविवार को हुआ। इस अवसर पर केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोल ने घोषणा की कि भारत सरकार एक राष्ट्रीय सहकारी विश्वविद्यालय स्थापित करने की प्रक्रिया में है। इस संबंध में विधेयक वर्तमान बजट सत्र के दौरान लोकसभा में पेश किया गया है और इसे अगले सत्र में मंजूरी के लिए प्रस्तुत किया जाएगा।
इस सम्मेलन का मुख्य विषय ‘सहकारिता के माध्यम से समृद्धि सृजन: डिजिटल नवाचार और मूल्य श्रृंखला’ था। मुरलीधर मोहोल इस सम्मेलन में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे।
अपने संबोधन में मोहोल ने ग्रामीण क्षेत्रों के सतत विकास में सहकारी क्षेत्र की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित किया और सरकार द्वारा सहकारी बैंकों को सशक्त बनाने के प्रयासों की जानकारी दी।
उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि यह सम्मेलन अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष के लिए भारत सरकार द्वारा आयोजित पहला आधिकारिक कार्यक्रम था। संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 2025 को अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है, जिसका विषय है— “सहकारिता एक बेहतर विश्व का निर्माण करती है।”
सम्मेलन के दौरान मोहोल ने एशिया और अफ्रीका के देशों के साथ सहकारी संबंधों को मजबूत करने की आवश्यकता पर भी जोर दिया। इस सम्मेलन में नेपाल, भूटान, बांग्लादेश, लाओस, कंबोडिया, गाम्बिया, केन्या, लाइबेरिया, मॉरीशस, नामीबिया, श्रीलंका और ज़ाम्बिया सहित 12 देशों से 36 प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
तीन दिनों तक चले इस सम्मेलन में विशेषज्ञों ने डिजिटल नवाचार, सहकारी मॉडल, मूल्य श्रृंखला में अवसर और चुनौतियां, स्थिरता और वैश्विक सहयोग जैसे विषयों पर गहन चर्चा की।
सम्मेलन में कई प्रमुख लोग मौजूद थे, जिनमें आनंद स्थित ग्रामीण प्रबंधन संस्थान के निदेशक डॉ. उमाकांत दाश, पुणे के राष्ट्रीय बैंक प्रबंधन संस्थान के निदेशक प्रो. पार्थ रे, लाओस पीडीआर के ग्रामीण विकास मंत्रालय के उप महानिदेशक अनोसाक फांगथिमावोंग और गाम्बिया के सहकारी रजिस्ट्रार जनरल अब्बा जिब्रिल संकरेह आदि।
वेमनीकॉम और सिकटेब की निदेशक डॉ. हेमा यादव ने सम्मेलन के तीन दिवसीय सत्रों का सार प्रस्तुत किया और इसकी सफलता पर सभी को बधाई दी।