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आपदा प्रबंधन में को-ऑपरेटिव्स की भूमिका अहम: जी20 डीआरआर

दक्षिण अफ्रीका के केप टाउन में 13 अक्टूबर 2025 को आयोजित जी20 आपदा जोखिम न्यूनीकरण (डीआरआर) मंत्रीस्तरीय बैठक में भारत और सहकारी क्षेत्र के लिए महत्वपूर्ण निर्णय और दिशा-निर्देश सामने आए।

बैठक में प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव डॉ. पी.के. मिश्रा ने भारत का प्रतिनिधित्व किया। इस बैठक में “सभी के लिए सहनशीलता: एकजुटता, समानता और सततता के माध्यम से आपदा जोखिम न्यूनीकरण” नामक घोषणा पर सर्वसम्मति बनी और इसे लागू करने का निर्णय लिया गया।

घोषणा में सहभागी और समुदाय-केंद्रित रणनीतियों पर विशेष जोर दिया गया है। यह सहकारी क्षेत्र के सहायता और सामूहिक कार्य के मूल सिद्धांतों से पूरी तरह मेल खाती है। विशेष रूप से कमजोर और असुरक्षित समूहों की सुरक्षा और उनके लिए योजनाओं को लागू करने पर जोर रखा गया।

घोषणा में स्थानीय स्तर पर निवेश और संसाधनों के प्रभावी उपयोग की भी बात की गई है। सहकारी संस्थाएं, जो समुदायों के करीब हैं, इन पहलों को लागू करने और स्थानीय संसाधनों को जुटाने में सक्षम हैं।

साथ ही, सार्वजनिक-निजी भागीदारी को बढ़ावा देने पर बल दिया गया। सहकारी संस्थाएं सरकारी और निजी संस्थानों के बीच सहयोग को सुदृढ़ करने में प्रभावी मध्यस्थ बन सकती हैं।

भारत की आपदा-प्रतिरोधक अवसंरचना गठबंधन (सीडीआरआई) के माध्यम से 50 देशों को तकनीकी सहायता दी जा रही है। सहकारी संस्थाओं की सक्रिय भागीदारी इसे और समावेशी और प्रभावी बनाने में सहायक साबित हो सकती है।

इस प्रकार, जी20 की यह घोषणा सहकारी क्षेत्र को आपदा-प्रतिरोधक समुदाय निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाने का अवसर देती है। अपने सामुदायिक और सहयोगात्मक ढांचे के माध्यम से सहकारी संस्थाएं भारत और विश्व स्तर पर स्थायी और सशक्त योगदान कर सकती हैं।

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