
भारतीय रिज़र्व बैंक ने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में दो अहम फैसले लेते हुए एक ओर सतारा स्थित जीजामाता महिला सहकारी बैंक लिमिटेड, महाराष्ट्र का लाइसेंस रद्द कर दिया है, वहीं दूसरी ओर केरल स्थित इरिंजालकुडा टाउन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के निदेशक मंडल को भंग कर बैंक पर प्रशासक नियुक्त किया है।
रिज़र्व बैंक ने 6 अक्तूबर 2025 के आदेश के तहत बैंक का लाइसेंस रद्द करते हुए कहा कि बैंक के पास पर्याप्त पूंजी और आय की संभावनाएं नहीं हैं और इसकी वित्तीय स्थिति लगातार बिगड़ती जा रही थी। आरबीआई ने बताया कि बैंक द्वारा सहयोग न करने के कारण वित्तीय वर्ष 2013-14 की फोरेंसिक लेखापरीक्षा पूरी नहीं की जा सकी।
आरबीआई के अनुसार, बैंक का बने रहना जमाकर्ताओं के हितों के प्रतिकूल था और वह अपने वर्तमान जमाकर्ताओं को पूर्ण भुगतान करने में सक्षम नहीं था। इसलिए 7 अक्तूबर 2025 से बैंकिंग कारोबार पर रोक लगा दी गई है।
अब महाराष्ट्र के सहकारी समितियों के रजिस्ट्रार को बैंक के परिसमापन के आदेश जारी करने और एक परिसमापक नियुक्त करने के लिए कहा गया है। परिसमापन के बाद प्रत्येक जमाकर्ता डीआईसीजीसी अधिनियम, 1961 के तहत 5 लाख रुपये तक की बीमा दावा राशि पाने का हकदार होगा।
दूसरी ओर, रिज़र्व बैंक ने बैंककारी विनियमन अधिनियम, 1949 की धारा 36एएए के तहत कार्रवाई करते हुए इरिंजालकुडा टाउन को-ऑपरेटिव बैंक लिमिटेड के निदेशक मंडल को 12 महीने की अवधि के लिए भंग कर दिया है। बैंक की वित्तीय स्थिति और प्रशासनिक मानकों से जुड़ी गंभीर चिंताओं को देखते हुए यह कदम उठाया गया है।
आरबीआई ने इस दौरान बैंक के संचालन के लिए श्री राजू एस. नायर (पूर्व उपाध्यक्ष, फेडरल बैंक) को प्रशासक नियुक्त किया है। साथ ही, दो अनुभवी बैंकिंग विशेषज्ञों- श्री मोहनन के. (पूर्व उप महाप्रबंधक, साउथ इंडियन बैंक) और श्री टी.ए. मोहम्मद सगीर (पूर्व उपाध्यक्ष, फेडरल बैंक)- की एक सलाहकार समिति भी गठित की गई है जो प्रशासक की सहायता करेगी।
इन दोनों कदमों को आरबीआई की सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में वित्तीय अनुशासन, सुशासन और जमाकर्ताओं के हितों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने की दिशा में कड़े रुख के रूप में देखा जा रहा है।