
हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक की मेज़बानी में आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सहकारी सम्मेलन का रविवार को सफल समापन हुआ। सम्मेलन में किसानों के हितों, महिला सशक्तिकरण और सहकारिता क्षेत्र में नवाचार को प्राथमिकता देने पर जोर दिया गया।
समापन सत्र में केंद्रीय सहकारिता राज्य मंत्री कृष्णपाल गुर्जर, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू, उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत सहित सहकारी क्षेत्र के नेता और अधिकारी उपस्थित रहे।
केंद्रीय मंत्री कृष्णपाल गुर्जर ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए आधुनिक भंडारण, कोल्ड चेन सुविधाओं और निर्यात अवसरों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने कहा कि सहकारी मॉडल सस्ती ऋण सुविधा, आधुनिक तकनीक और महिलाओं व युवाओं के लिए स्व रोजगार उपलब्ध कराकर ग्रामीण अर्थव्यवस्था की खाई को पाटता है। उन्होंने बताया कि एनसीईएल, एनसीओएल और बीबीएसएसएल जैसी संस्थाएं हिमालयी किसानों को राष्ट्रीय व वैश्विक बाज़ारों से जोड़ रही हैं।
मुख्यमंत्री सुखविंदर सिंह सुक्खू ने घोषणा की कि राज्य सहकारी बैंक जल्द ही संकटग्रस्त किसानों के लिए वन-टाइम सेटलमेंट (ओटीएस) नीति लागू करेगा, जिससे प्रतिकूल परिस्थितियों में ऋण न चुका पाने वाले किसानों को राहत मिलेगी। उन्होंने सहकारी संस्थाओं को विकास के लिए भूमि तक आसान पहुँच दिलाने हेतु धारा 118 में संशोधन की भी बात कही। उन्होंने कहा कि आपदाओं और संकटों में सहकारी संस्थाओं ने ऐतिहासिक भूमिका निभाई है और अब समय है कि इन्हें आधुनिक चुनौतियों के अनुरूप सुधारा जाए।
उत्तराखंड के सहकारिता मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने हिमालयी राज्यों के साझा प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने बताया कि 6,812 करोड़ रुपये के ब्याजमुक्त ऋण से 11 लाख से अधिक लोगों को लाभ मिला है। साथ ही महिलाओं को सहकारिताओं में 33% आरक्षण, “घस्यारी कल्याण योजना” और “मिलेट मिशन” जैसी योजनाओं का भी जिक्र किया। उन्होंने “दून सिल्क” को बढ़ावा देने और कारीगरों व किसानों को विपणन मंच उपलब्ध कराने के लिए राज्य स्तरीय सहकारी मेलों की घोषणा की।
हिमाचल प्रदेश राज्य सहकारी बैंक के चेयरमैन देवेंद्र श्याम ने स्वागत भाषण में छोटे किसानों, स्वयं सहायता समूहों और हाशिए पर खड़े समुदायों के लिए शुरू की गई पहलों का उल्लेख किया और सहकारी संस्थाओं की क्षेत्रीय विकास में अहम भूमिका को रेखांकित किया।
अंत में बैंक के प्रबंध निदेशक शरवन मंटा ने कहा कि यह सम्मेलन अनुभवों के आदान-प्रदान, नवाचार को बढ़ावा देने और सहकारी नेटवर्क को मज़बूत करने का एक सफल मंच साबित हुआ है।



