
गुजरात सरकार ने राज्य की सहकारी संस्थाओं की ऑडिट फीस संरचना में बड़े पैमाने पर संशोधन का प्रस्ताव रखा है। इस संबंध में गुजरात सहकारी सोसाइटी अधिनियम, 1961 की धारा 168 के तहत मसौदा अधिसूचना जारी की गई है। इसमें 1965 के नियमों में बदलाव करते हुए नया शेड्यूल-ए लागू करने का सुझाव दिया गया है, जो दशकों पुराने प्रावधानों की जगह लेगा।
नए प्रस्ताव के अनुसार, प्राथमिक सहकारी ऋण समितियां, बहुउद्देशीय समितियां, कृषि ऋण समितियां और किसानों की सेवा समितियां अपनी वार्षिक बैलेंस शीट के आकार के आधार पर 2,500 रुपये से 30,000 रुपये तक ऑडिट फीस देंगी। शहरी सहकारी बैंकों के लिए यह फीस 40,000 रुपये से 3 लाख रुपये तक होगी। इसी तरह शहरी क्रेडिट सोसायटी, वेतनभोगी कर्मचारियों और फैक्ट्री वर्कर्स की सोसायटी को 2,500 रुपये से 2 लाख रुपये तक फीस देनी होगी।
बड़े सहकारी संस्थानों के लिए टर्नओवर आधारित शुल्क का प्रावधान है। जिला दुग्ध सहकारी संघों से 60,000 रुपये से 20 लाख रुपये तक फीस ली जाएगी, जबकि गुजरात को-ऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फेडरेशन (अमूल) को 20 लाख रुपये या वास्तविक प्रशासनिक खर्च, इनमें से जो अधिक होगा, वह देना होगा।
गुजरात राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक की फीस उसकी कार्यशील पूंजी के अनुसार 2 लाख रुपये से 15 लाख रुपये तक होगी।
शिक्षा क्षेत्र से जुड़ी सहकारी यूनियनों की ऑडिट फीस एजुकेशन कंट्रीब्यूशन फंड की आय के आधार पर तय होगी। यानी छोटे यूनियनों के लिए 10,000 रुपये से लेकर राज्य स्तरीय बड़ी यूनियनों के लिए 2 लाख रुपये तक। नई पंजीकृत यूनियनों को पहले पाँच वर्ष तक और कुछ कृषि समितियों को तीन वर्ष तक छूट मिलेगी।
मसौदे में स्पष्ट किया गया है कि जिला सहकारी बैंक, राज्य सहकारी बैंक और अन्य केंद्रीय सहकारी संस्थाओं का ऑडिट पहले की तरह नाबार्ड की अनुमोदित सीए फर्मों द्वारा किया जाएगा, इसलिए उनके लिए नए प्रावधान की आवश्यकता नहीं है।
वहीं, कृषि उपज मंडी समितियां, मत्स्य सहकारी समितियां, उपभोक्ता समितियां, श्रमिक सहकारी समितियां और खेती से जुड़ी समितियों के लिए भी नए स्लैब तय किए गए हैं।
सरकार ने हितधारकों से 30 दिनों के भीतर सुझाव और आपत्तियां आमंत्रित की हैं। अधिसूचना को अंतिम रूप दिए जाने के बाद इसे राजपत्र में प्रकाशित होते ही लागू कर दिया जाएगा। यह अधिसूचना राज्यपाल के नाम से उप सचिव श्री कुलदीप माकवाना द्वारा जारी की गई है।