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पाटिल ने की आरबीआई के बदलते रुख की सराहना

नेफकॉब की 49वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित करते हुए चेयरमैन एमेरिटस डॉ. एच.के. पाटिल ने शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में एकता, आधुनिकीकरण और प्रोफेशनलिज़्म को समय की मांग बताया।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 सहकारिता के लिए ऐतिहासिक है, क्योंकि संयुक्त राष्ट्र ने इसे अंतर्राष्ट्रीय सहकारिता वर्ष घोषित किया है। इसी कड़ी में नेफकॉब आगामी 8–9 नवम्बर को नई दिल्ली के विज्ञान भवन में “कोऑप कुंभ 2025” का आयोजन करेगा।

डॉ. पाटिल ने हाल ही में घोषित राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 का स्वागत करते हुए इसे सहकारिता आंदोलन की पहचान मजबूत करने वाला कदम बताया। उन्होंने कहा कि प्रस्तावित सहकारी विश्वविद्यालय क्षेत्र को प्रोफेशनल बनाएगा तथा युवाओं और महिलाओं को कौशल व रोजगार के अवसर प्रदान कर सहकारिता की ओर आकर्षित करेगा।

उन्होंने आरबीआई के हालिया सकारात्मक कदमों का जिक्र करते हुए अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को पुनः शेड्यूल्ड स्टेटस देने का स्वागत किया और वित्तीय समावेशन को मजबूत करने के लिए अतिरिक्त छूट की मांग की। उन्होंने कहा, “पिछले चार वर्षों में सहकारिता क्षेत्र में अभूतपूर्व बदलाव आए हैं-नई सहकारिता नीति से लेकर सहकारी विश्वविद्यालय की स्थापना और एमएससीएस अधिनियम में संशोधन तक।”

डॉ. पाटिल ने यह भी कहा कि अब आरबीआई का दृष्टिकोण बदला है और वह अर्बन कोऑपरेटिव बैंकों को भारत की विकास यात्रा का साझेदार मान रहा है। उन्होंने यूसीबी से आह्वान किया कि वे गवर्नेंस स्टैंडर्ड्स सुधारें, आधुनिक तकनीक अपनाएँ और अपनी पहुँच बढ़ाएँ, ताकि वे आम जनता के “पसंदीदा पड़ोसी बैंक” बने रहें।

उन्होंने एनयूसीएफडीसी के प्रयासों की सराहना की, जिसने अब तक 300 करोड़ रुपये के लक्ष्य में से 275 करोड़ रुपये जुटा लिए हैं। साथ ही, उन्होंने उन बैंकों से अपील की, जिन्होंने अभी तक इक्विटी भागीदारी नहीं की है, कि वे 15 सितंबर की समयसीमा से पहले इसे पूरा करें। उन्होंने बताया कि संस्था पूर्णतः क्रियाशील होने के बाद स्व-नियामक संगठन के रूप में भी कार्य करेगी।

अंत में, डॉ. पाटिल ने नेफकॉब अध्यक्ष लक्ष्मी दास की सराहना करते हुए कहा कि उन्होंने आरबीआई से महत्वपूर्ण नियामकीय छूटें दिलवाकर इस क्षेत्र के आत्मविश्वास और संभावनाओं को नई ऊँचाई दी है।

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