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आरबीआई ने खेती बैंकों को क्रेडिट इंस्टीट्यूशंस का दर्जा देने से किया इनकार

भारतीय रिज़र्व बैंक ने राज्य सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों (एससीएआरडीबी) को क्रेडिट सूचना कंपनियाँ (विनियमन) अधिनियम, 2005 (सीआईसीआरए) के तहत क्रेडिट इंस्टिट्यूशन के रूप में मान्यता देने से इनकार कर दिया है।

कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों की शीर्ष संस्था नैफकार्ड ने आरबीआई से इस निर्णय पर पुनर्विचार करने की अपील करते हुए कहा है कि यदि एससीएआरडीबी को क्रेडिट सूचना कंपनियों (सीआईसी) की सदस्यता मिलती है, तो इससे क्रेडिट सूचना तंत्र मजबूत होगा और उधारकर्ताओं के क्रेडिट स्कोर अधिक सटीक बनेंगे।

जानकारों का कहना है कि दीर्घकालिक सहकारी ऋण संरचना में एससीएआरडीबी के साथ-साथ प्राथमिक सहकारी कृषि और ग्रामीण विकास बैंकों को देश की सबसे पुरानी ऋण संस्थाओं में गिना जाता है।

गौरतलब है कि सीआईसी देश की ऋण प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। ये संस्थाएं उधारकर्ताओं की क्रेडिट हिस्ट्री को संग्रहित, संधारित और विश्लेषित करती हैं तथा 300 से 900 तक का क्रेडिट स्कोर जारी करती हैं। आमतौर पर 750 से अधिक स्कोर को अनुकूल माना जाता है।

लेकिन वर्तमान में एससीएआरडीबी से जुड़े क्रेडिट लेनदेन सीआईसी के डाटाबेस में नहीं जुड़ते, जिससे उधारकर्ताओं की क्रेडिट प्रोफाइल के आकलन में समस्या उत्पन्न होती है। इससे स्थिति यह बन जाती है कि एससीएआरडीबी के जानबूझकर डिफॉल्टर भी उच्च क्रेडिट स्कोर बनाए रख सकते हैं और अन्य वित्तीय संस्थानों से आसानी से ऋण प्राप्त कर सकते हैं।

नैफकार्ड के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, “यह कोई छोटी समस्या नहीं है, खासकर जब एक करोड़ से अधिक परिवारों को सेवा देने वाली संस्थाएं क्रेडिट रिपोर्टिंग ढांचे से बाहर रखी जाएं।”

सहकारिता मंत्रालय द्वारा कराए गए एक हालिया अध्ययन में भी एससीएआरडीबी को सीआईसी की सदस्यता देने की सिफारिश की गई है। अध्ययन के अनुसार, इससे क्रेडिट स्कोर की विश्वसनीयता बढ़ेगी और एआरडीबी प्रणाली के अंतर्गत वसूली की प्रक्रिया को भी बल मिलेगा।

हालांकि आरबीआई ने फेडरेशन को अपने उत्तर में सूचित किया है, “इस समय आईसी रेगुलेशन एक्ट के तहत एससीएआरडीबी को सीआईसी की सदस्यता देना संभव नहीं है।” केंद्रीय बैंक ने इस निर्णय के पीछे कोई स्पष्ट कारण नहीं बताया।

फेडरेशन का मानना है कि चूंकि एससीएआरडीबी पूर्णतः क्रेडिट देने वाली संस्थाएं हैं, जो दीर्घकालिक कृषि वित्तपोषण में लगी हैं, इसलिए उन्हें सीआईसी की सदस्यता मिलनी चाहिए।

फेडरेशन ने एक बार फिर आरबीआई से अपील की है कि वह अपने निर्णय पर पुनर्विचार करे, ताकि देश में एक मजबूत और समावेशी क्रेडिट सूचना प्रणाली का निर्माण हो सके।

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