
सहकारिता मंत्रालय द्वारा आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय सहकारी समीक्षा बैठक लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (लबासना), मसूरी में सफलतापूर्वक संपन्न हुई। समापन सत्र में सहकारिता मंत्रालय के सचिव डॉ. आशीष कुमार भूटानी ने प्रत्येक गांव में सहकारी समितियों की स्थापना के लिए मिशन मोड में कार्य करने का आह्वान किया। उन्होंने अपने संबोधन में भूमिहीन किसानों को शामिल करने और समुदाय की व्यापक भागीदारी सुनिश्चित करने पर विशेष जोर दिया।
डॉ. भूटानी ने राज्यों से संशोधित मॉडल उपविधियों को शीघ्र लागू करने और जिला-स्तरीय कार्य योजनाएं तैयार करने का आग्रह किया।
सचिव ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह के नेतृत्व में सहकारी क्षेत्र तेजी से परिवर्तन की दिशा में अग्रसर है। उन्होंने एक आत्मनिर्भर और समावेशी सहकारी तंत्र की रूपरेखा प्रस्तुत की।
बैठक में संस्थागत सशक्तिकरण, नवाचार और क्षेत्रीय समन्वय जैसे विषयों पर उच्चस्तरीय सत्र आयोजित किए गए। आईआईएम अहमदाबाद के प्रो. राजेश चंदवाणी ने मानव संसाधन विकास पर प्रस्तुति देते हुए आधुनिक एचआर प्रथाओं और नेतृत्व मॉडल अपनाने का सुझाव दिया।
सहकारी बैंकिंग पर एक प्रमुख कार्यशाला का आयोजन अतिरिक्त सचिव एवं एनसीडीसी के प्रबंध निदेशक पंकज कुमार बंसल की अध्यक्षता में हुआ। इसमें शहरी सहकारी बैंकों को सशक्त बनाने, राज्य सहकारी बैंकों की साझी सेवा इकाई में भागीदारी बढ़ाने और राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम (एनयूसीएफडीसी) के साथ गहन सहयोग पर चर्चा हुई।
नेफकॉब, नाबार्ड, एनयूसीएफडीसी सहित कई संस्थानों ने प्रस्तुतीकरण दिए। महाराष्ट्र, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, हरियाणा, बिहार, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के प्रतिनिधियों ने पैनल चर्चा में भाग लिया, जिसमें बेहतर शासन, तकनीकी नवाचार और वित्तीय स्थिरता पर बल दिया गया।
एक अन्य सत्र में एनसीईएल, एनसीओएल, बीबीएसएसएल, एनसीसीएफ और नेफेड जैसे शीर्ष संस्थानों की भूमिका और सहकारी नेटवर्क के माध्यम से अनाज भंडारण योजना की प्रगति की समीक्षा की गई। साथ ही, राष्ट्रीय सहकारी डाटाबेस की प्रगति और प्राथमिक कृषि साख समितियों (PACS) को सशक्त बनाने के समेकित प्रयासों पर भी चर्चा हुई।
बैठक में प्रतिभागियों ने राष्ट्रीय सहकारी दृष्टिकोण के अनुरूप कार्य करने और सहकारिता के माध्यम से समग्र ग्रामीण एवं आर्थिक विकास सुनिश्चित करने का संकल्प लिया। समापन सत्र के अवसर पर राज्यों और संस्थानों ने यह संकल्प दोहराया कि वे सहकारी सुधारों को तेज़ी से आगे बढ़ाएंगे, जमीनी नेतृत्व को मज़बूत करेंगे और सहकारिता को समावेशी तथा सतत विकास की मज़बूत नींव बनाएंगे।