
गुजरात के आणंद स्थित त्रिभुवन सहकारी यूनिवर्सिटी की कार्यकारी परिषद का गठन आधिकारिक रूप से 16 जुलाई 2025 को कर दिया गया है। इस परिषद की अध्यक्षता यूनिवर्सिटी के कुलपति करेंगे, और इसमें सहकारी क्षेत्र से जुड़े प्रमुख विशेषज्ञों को शामिल किया गया है।
परिषद में नेफकॉब के पूर्व मुख्य कार्यकारी डी. कृष्णा, जीसीएमएमएफ के प्रबंध निदेशक जयन मेहता और आईसीए-एपी के क्षेत्रीय निदेशक बालू अय्यर को शामिल किया गया है।
इसके अतिरिक्त, भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, वित्त सलाहकार एवं सचिव तथा संयुक्त सचिव, को भी परिषद में स्थान दिया गया है।
राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम (एनसीडीसी) के प्रबंध निदेशक, नाबार्ड के संस्थागत विकास विभाग के मुख्य महाप्रबंधक, राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) के वरिष्ठ कार्यकारी निदेशक डॉ. एस. कन्नप्पन, और भारतीय रिज़र्व बैंक के कृषि बैंकिंग महाविद्यालय के प्रधान एवं मुख्य महाप्रबंधक भी परिषद के सदस्य बनाए गए हैं।
विश्वविद्यालय की ओर से प्रो. माधवी मेहता और प्रो. सीमा सिंह रावत को रोटेशन के आधार पर नामांकित किया गया है। विश्वविद्यालय के रजिस्ट्रार परिषद में सदस्य-सचिव के रूप में कार्य करेंगे। नामित (गैर-आधिकारिक) सदस्यों का कार्यकाल तीन वर्ष का होगा।
यह कार्यकारी परिषद प्रत्येक तिमाही में बैठक करेगी और विश्वविद्यालय के संचालन से संबंधित महत्वपूर्ण एवं दीर्घकालिक निर्णयों की जिम्मेदारी निभाएगी। इसके अंतर्गत शैक्षणिक एवं प्रशासनिक पदों की स्थापना व नियुक्ति, वित्तीय और भौतिक संपत्तियों का प्रबंधन, अनुशासन व्यवस्था का अनुपालन, अनुबंधों का क्रियान्वयन, छात्रवृत्तियों की स्थापना, तथा उद्योगों एवं संस्थानों के साथ रणनीतिक साझेदारियों का विकास शामिल होगा।
परिषद को यह अधिकार प्राप्त होगा कि वह आवश्यकता पड़ने पर अपने कुछ अधिकार विश्वविद्यालय के अधिकारियों या समितियों को सौंप सके, साथ ही केंद्र सरकार को संदर्भित मामलों पर सुझाव और मार्गदर्शन भी दे सके।
संक्षेप में, कार्यकारी परिषद को विश्वविद्यालय के उद्देश्यों की पूर्ति हेतु सभी आवश्यक कार्यों को निष्पादित करने का अधिकार प्राप्त होगा, सिवाय उन कार्यों के जो अधिनियम के अंतर्गत किसी अन्य प्राधिकरण को सौंपे गए हैं।
गौरतलब है कि इससे पूर्व केंद्र सरकार ने त्रिभुवन सहकारी विश्वविद्यालय के अधिनियमों को अधिसूचित किया था, जिनमें प्रमुख पदों की नियुक्ति प्रक्रिया, पात्रता मानदंड, कार्यकाल, अधिकारों और विश्वविद्यालय की समग्र शासन संरचना का विवरण प्रस्तुत किया गया था।