
भारतीय रिज़र्व बैंक (आरबीआई) ने मंगलवार को गुजरात के 15 शहरी सहकारी बैंकों (यूसीबी) पर से सुपरवाइजरी एक्शन फ्रेमवर्क हटा दिया है। यह निर्णय राज्य के सहकारी बैंकिंग क्षेत्र के लिए बेहद महत्वपूर्ण माना जा रहा है।
भारतीय सहकारिता से विशेष बातचीत में वरिष्ठ सहकारी नेता और राष्ट्रीय शहरी सहकारी वित्त एवं विकास निगम (एनयूसीएफडीसी) के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने पुष्टि की, “हां, गुजरात की 15 यूसीबी अब एसएएफ से बाहर आ चुकी हैं। आरबीआई ने मंगलवार को इन सभी बैंकों पर लगे प्रतिबंध हटा दिए हैं।”
“इनमें से कई बैंक लंबे समय से एसएएफ के अंतर्गत थे, लेकिन समय के साथ इनके प्रदर्शन में लगातार सुधार हुआ है। आरबीआई के साथ विस्तृत चर्चा और उचित जांच-पड़ताल के बाद इन बैंकों को अंततः निगरानी कार्रवाई रूपरेखा से मुक्त किया गया”, मेहता ने कहा जो गुजरात अर्बन कोऑपरेटिव बैंक्स फेडरेशन की अध्यक्ष भी हैं।
भारतीय सहकारिता के पास उन 15 बैंकों की सूची है जिनसे आरबीआई ने एसएएफ हटाया है, लेकिन संबंधित बैंकों के हितों की रक्षा के मद्देनज़र सूची सार्वजनिक नहीं की जा रही है। उदाहरण के तौर पर, आनंद स्थित सरदारगंज मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक, जो माधवपुरा मर्केंटाइल कोऑपरेटिव बैंक घोटाले से प्रभावित था, लगभग 15 वर्षों बाद एसएएफ से बाहर आया है।
यह निर्णय गुजरात के शहरी सहकारी बैंकिंग क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो रहा है। अब जबकि 15 बैंक एसएएफ से बाहर हो चुके हैं, राज्य में केवल कुछ ही यूसीबी ऐसे बचे हैं जो अभी भी आरबीआई की निगरानी कार्रवाई रूपरेखा के अंतर्गत हैं।
गुजरात में कुल 211 शहरी सहकारी बैंक कार्यरत हैं, जिनकी कुल जमा राशि 54,000 करोड़ रुपये की है और 41,000 करोड़ रुपये के अग्रिम हैं। इन बैंकों की परिसंपत्ति गुणवत्ता भी सुदृढ़ मानी जा रही है, जिनका सकल एनपीए 3.5% और शुद्ध एनपीए मात्र 0.5% है।
आरबीआई द्वारा प्रतिबंध हटाए जाने से संबंधित बैंकों को अधिक स्वायत्तता मिलेगी। अब ये बैंक अपने ऋण परिचालन का विस्तार, नए व्यवसायिक अवसरों की खोज, और बेहतर ग्राहक सेवा जैसे क्षेत्रों में अधिक सक्रियता से कार्य कर सकेंगे।
यह निर्णय देश भर के सहकारी बैंकों के लिए भी एक सकारात्मक संकेत है और अन्य राज्यों को भी यह प्रेरणा मिल सकती है कि वे अपने एसएएफ सूचीबद्ध बैंकों की वित्तीय स्थिति, शासन व्यवस्था, जोखिम प्रबंधन और पूंजी पर्याप्तता को मजबूत करें।