
भारतीय रिज़र्व बैंक के केंद्रीय बोर्ड निदेशक सतीश मराठे ने मुंबई स्थित नेशनल अर्बन को-ऑपरेटिव फाइनेंस एंड डेवलपमेंट कॉरपोरेशन (एनयूसीएफडीसी) के मुख्यालय का दौरा कर संस्था के कामकाज की समीक्षा की।
इस अवसर पर, एनयूसीएफडीसी के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने मराठे का स्वागत किया और सहकारी बैंकिंग और वित्तीय क्षेत्र में उनके योगदान की सराहना की।
बैठक में एनयूसीएफडीसी की विभिन्न पहलों, विशेष रूप से रुपये 300 करोड़ की पेड-अप कैपिटल जुटाने के लक्ष्य पर विस्तार से चर्चा हुई। अब तक रुपये 242.5 करोड़ की पूंजी जुटाई जा चुकी है, जबकि शेष रुपये 40 करोड़ छोटे टियर I और टियर II अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों से प्राप्त होने की उम्मीद है।
फरवरी 2024 में स्थापित एनयूसीएफडीसी वर्तमान में 1,472 अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों को परिचालन दक्षता बढ़ाने, आईटी अवसंरचना में सुधार करने और वित्तीय सेवाओं का विस्तार करने में सहायता प्रदान कर रहा है। संस्था के सीईओ प्रभात चतुर्वेदी ने कहा कि एनयूसीएफडीसी सहकारी बैंकिंग के आधुनिकीकरण, वित्तीय समावेशन और स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है।
इस बीच, सरकार ने ‘को-ऑपरेटिव बैंक ऑफ इंडिया’ स्थापित करने की योजना की घोषणा की है, जो अर्बन को-ऑपरेटिव बैंकों, राज्य सहकारी बैंकों और जिला केंद्रीय सहकारी बैंकों के लिए एक केंद्रीय क्लियरिंग हाउस के रूप में कार्य करेगा। इस पहल का नेतृत्व एनयूसीएफडीसी करेगा और इसे अगले दो वर्षों में चालू करने की योजना है।
हाल ही में, पुणे में एक कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने सहकारी बैंकिंग क्षेत्र को सुदृढ़ करने के सरकार के संकल्प को दोहराया। उन्होंने बताया कि रुपये 300 करोड़ के शेयर कैपिटल लक्ष्य को सफलतापूर्वक पूरा किया गया है, जिससे सहकारी बैंकों को वित्तीय सहायता, तकनीकी उन्नयन और बुनियादी ढांचे में सुधार में मदद मिलेगी।
इस पहल का उद्देश्य परिचालन दक्षता बढ़ाना, कोर बैंकिंग सॉल्यूशंस (सीबीएस) को अपनाने में तेजी लाना और आर्थिक संकट का सामना कर रहे सहकारी बैंकों को राहत प्रदान करना है।
ये सभी प्रयास भारत में सहकारी बैंकिंग प्रणाली को मजबूत करने, वित्तीय स्थिरता लाने और सहकारी बैंकों के लाखों ग्राहकों को बेहतर सेवाएं प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम हैं।