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यूसीबी नेताओं से रूबरू हुए आरबीआई गवर्नर; बैंकों को सुदृढ़ बनाने पर चर्चा

भारतीय रिज़र्व बैंक ने बुधवार को मुंबई क्षेत्र में टियर 3 और 4 शहरी सहकारी बैंकों के बोर्ड के निदेशकों के लिए सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन का उद्घाटन भारतीय रिज़र्व बैंक के गवर्नर ने किया।

इसका विषय ‘बैंकों में सुशासन – धारणीय संवृद्धि और स्थिरता को आगे बढ़ाना’ था। इसमें आरबीआई के उप गवर्नर एम. राजेश्वर राव और स्वामीनाथन जे. के साथ-साथ भारतीय रिज़र्व बैंक के पर्यवेक्षण, विनियमन और प्रवर्तन विभागों का प्रतिनिधित्व करने वाले कार्यपालक निदेशकों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों ने भी भाग लिया।

इस अवसर पर सारस्वत सहकारी बैंक के अध्यक्ष गौतम ठाकुर, कॉसमॉस सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष प्रवीण कुमार गांधी और एसवीसी सहकारी बैंक के अध्यक्ष दुर्गेश चंदावरकर सहित अन्य अर्बन कोऑपरेटिव बैंक के प्रतिनिधि उपस्थित थें। इस सम्मेलन में 41 से अधिक शहरी सहकारी बैंकों के लगभग 125 प्रतिनिधि मौजूद थे।

रिज़र्व बैंक ने वित्तीय प्रणाली के विभिन्न क्षेत्रों में कार्यरत अपनी विनियमित संस्थाओं के निदेशकों के साथ बातचीत शुरू कर दी है। मई 2023 में सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों और निजी क्षेत्र के बैंकों के बोर्ड के निदेशकों के साथ दो अलग-अलग सम्मेलन आयोजित किए गए। इस प्रक्रिया को आगे बढ़ाते हुए, सम्मेलन मुंबई क्षेत्र के चुनिंदा बड़े शहरी सहकारी बैंकों के लिए आयोजित किया गया था। आगे चलकर, रिज़र्व बैंक देश के अन्य क्षेत्रों में अन्य शहरी सहकारी बैंकों के बोर्ड के निदेशकों के लिए इसी तरह के सम्मेलन आयोजित करेगा।

वित्तीय समावेशन को आगे बढ़ाने और अंतिम मील तक कनेक्टिविटी प्रदान करके आर्थिक विकास का समर्थन करने में शहरी सहकारी बैंकों के उद्देश्यों और शक्तियों का स्मरण करते हुए, गवर्नर ने इन पहलुओं में शहरी सहकारी बैंकों द्वारा निभाई गई भूमिका को स्वीकार किया।

उन्होंने कहा कि हालांकि यूसीबी क्षेत्र ने हाल के दिनों में समग्र स्तर पर बेहतर वित्तीय प्रदर्शन किया है, लेकिन कुछ व्यक्तिगत संस्थाओं के लिए चिंताएं और कमजोरियां देखी जा रही हैं। उन्होंने शहरी सहकारी बैंकों को अपने वित्तीय और परिचालनगत आघात-सहनीयता को सुदृढ़ करने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला ताकि वे समग्र वित्तीय और बैंकिंग क्षेत्र की स्थिरता में योगदान दे सकें।

शहरी सहकारी बैंकों से विशिष्ट अपेक्षाओं की चर्चा करते हुए, गवर्नर ने जोर देकर कहा कि व्यक्तिगत बैंकों की स्थिरता सुनिश्चित करने में सुशासन की गुणवत्ता सबसे महत्वपूर्ण पहलू है और शहरी सहकारी बैंकों के निदेशकों से सुशासन पद्धतियों, विशेष रूप से अनुपालन, जोखिम प्रबंधन और आंतरिक लेखा-परीक्षा के तीन सहायक स्तंभों को और सुदृढ़ करने का आग्रह किया।

बोर्डों के कामकाज पर, गवर्नर ने पांच पहलुओं – निदेशकों के पर्याप्त कौशल और विशेषज्ञता, एक पेशेवर प्रबंधन बोर्ड का गठन, बोर्ड के सदस्यों की विविधता और कार्यकाल, बोर्ड चर्चाओं की पारदर्शी और भागीदारी प्रकृति तथा बोर्ड स्तर की समितियों की प्रभावी कार्यप्रणाली पर जोर दिया। उन्होंने शहरी सहकारी बैंकों में पर्याप्त गुणवत्ता और श्रमशक्ति की सही संख्या सुनिश्चित करने के लिए शहरी सहकारी बैंकों में मानव संसाधनों के प्रति एक योजनाबद्ध दृष्टिकोण पर भी जोर दिया।

गवर्नर ने सुदृढ़ हामीदारी मानकों, मंजूरी पश्चात प्रभावी निगरानी, उत्पन्न होने वाले तनाव का समय पर पहचान और उसे कम करना, प्रभावी वसूली के लिए बड़े एनपीए उधारकर्ताओं की कड़ी निगरानी और पर्याप्त प्रावधानीकरण बनाए रखने सहित कठोर क्रेडिट जोखिम प्रबंधन को बनाए रखने में बोर्ड की भागीदारी की आवश्यकता पर बल दिया।

उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि वित्तीय विवरणों की अखंडता और पारदर्शिता सुनिश्चित करने में निदेशकों की भूमिका बहुत महत्वपूर्ण है और वास्तविक वित्तीय स्थिति को छिपाने के लिए नवीन लेखांकन पद्धतियों के उपयोग के प्रति आगाह किया।

गवर्नर ने बोर्डों से आस्ति देयता प्रबंधन में अधिक सक्रिय होने और चलनिधि संबंधी जोखिम को सुव्यवस्थित तरीके से प्रबंधित करने की आवश्यकता पर जोर दिया। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि एक मजबूत आईटी और साइबर सुरक्षा अवसंरचना की स्थापना और बैंक स्तर पर अपेक्षित कौशल की उपलब्धता में बोर्ड की भूमिका महत्वपूर्ण है। गवर्नर द्वारा यह कहा गया कि शहरी सहकारी बैंकों के प्रबंधन को अपने कामकाज में आवश्यक स्वायत्तता का आनंद लेना चाहिए।

गवर्नर ने अंत में कहा कि शहरी सहकारी बैंकों के बोर्ड अपनी सहकारी संस्कृति के सार को बनाए रखते हुए, डिजिटल युग के अनुकूल अपने बैंक की कार्यनीति और ऑफरिंग्स को अपनाकर, नवाचार को बढ़ावा देकर और बदलाव को अपनाकर परिवर्तन लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।

सम्मेलन में उप गवर्नरों के संबोधन और सुशासन, कारोबार जोखिम तथा साइबर सुरक्षा संबंधी तकनीकी सत्र शामिल थे।

रिज़र्व बैंक के कार्यपालक निदेशकों से प्रतिभागियों की खुली बातचीत के साथ सम्मेलन का समापन हुआ, आरबीआई की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।

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