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श्री राघवेंद्र बैंक में अटका 100 को-ऑप्स का फंड; शाह से मदद की अपील

अमित शाह के कर्नाटक दौरे के दौरान सौहार्द सहकारी समितियों से जुड़े नेताओं ने संकटग्रस्त श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक में फंसे पैसे को वापस दिलाने में मदद की मांग की।

कर्नाटक स्टेट सौहार्द फ़ेडरल को-ऑपरेटिव लिमिटेड (केएसएसएफसीएल) से जुड़ी सहकारी समितियों ने सरकार के नियमों का पालन करते हुए संकटग्रस्त श्री गुरु राघवेंद्र सहकारी बैंक में पैसा निवेश किया। वहीं डीआईसीडीसी द्वारा प्रस्तावित कठिन पुनर्भुगतान प्रणाली के कारण, इन सहकारी समितियों को अपना पैसा वापस पाने में दिक्कतों का सामना करना पड़ा रहा है।

अपने पत्र में केएसएसएफसीएल ने लिखा “100 सहकारी समितियों का पैसा इस बैंक में अटका हुआ है और इसलिए यह समितियाँ अपने सदस्यों को जमा राशि चुकाने में सक्षम नहीं हैं। हम सहकारी समितियों और उसके सदस्यों के हित में लड़ाई लड़ रहे हैं।”

पत्र के मुताबिक, “डीआईसीजीसी वतर्मान में 729 करोड़ रुपये के भुगतान पर जोर दे रहा है क्योंकि डीआईसीजीसी द्वारा 5 लाख रुपये से कम के जमाकर्ताओं को तय की गई राशि का पुनर्भुगतान किया गया है और यह वास्तव में बड़े जमाकर्ताओं की जमा राशि पर प्रभाव डालेगा। इसका मतलब है कि व्यावहारिक रूप से कोई भी सहकारी समिति अपना पैसा वापस नहीं करेगी।”

“अगर डीआईसीजीसी या मान लें कि डीआईसीजीसी अधिनियम नहीं होता और अगर कोई बैंक घाटे में जाता है तो बैंक के उपलब्ध संसाधनों के आधार पर सभी जमाकर्ताओं को उनकी जमा राशि की मात्रा के अनुपात में उनको उनका पैसा वापस मिल जाता”, पत्र के अनुसार।

पत्र में आगे कहा गया, गुरु राघवेंद्र बैंक के मामले में, सभी जमाकर्ताओं को अपनी जमा राशि का कम से कम 30 प्रतिशत पैसा वापस मिल जाएगा और अब उन्हें डीआईसीजीसी की भागीदारी के कारण कुछ भी नहीं मिलेगा, क्योंकि यह उनके द्वारा भुगतान की गई राशि को ऋण के रूप में दावा करता है, उन्होंने केंद्रीय मंत्री से मामले में तत्काल हस्तक्षेप की मांग करते हुए कहा।

सहकारी नेताओं ने केंद्रीय मंत्री से अनुरोध किया है कि वह डीआईसीजीसी की चुकौती समय अवधि को इस मुद्दे का उचित समाधान खोजने या जमाकर्ताओं की राशि का पूर्ण पुनर्भुगतान करने तक बढ़ा दें। उनका तर्क है कि डीआईसीजीसी से एसजीआरसीबी को ऋण स्वीकृत करके सभी जमाकर्ताओं की राशि का निपटान किया जाए।

उन्होंने यह भी मांग की कि आरबीआई को बैंक के पुनरुद्धार के लिए फ्लोट एक्सप्रेशन ऑफ इंटरेस्ट (ईओआई) के लिए निर्देशित किया जाए और यदि पुनरुद्धार संभव नहीं है तो बैंक को लिक्विडेट किया जाए और फिर बैंक की संपत्ति और देनदारियों के मिलान के बाद जमा को आनुपातिक रूप से व्यवस्थित करें।

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