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एनसीयूआई से जुड़ी समितियां हर गांव में करे को-ऑप स्थापित : संघानी

भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ ने अपनी वार्षिक आम बैठक का आयोजन शुक्रवार को एनसीयूआई सभागार में किया। इस मौके पर संघानी ने सदस्यों से अपने-अपने क्षेत्रों में सहकारी समिति स्थापित करने का आह्वान किया, विशेष रूप से उन क्षेत्रों में जहां सहकारी क्षेत्र अभी तक अपनी पहुंच बनाने में विफल रहा है।

वार्षिक आम बैठक में देश भर के विभिन्न हिस्सों से आए प्रतिनिधियों ने भाग लिया। कुछ गर्वनिंग काउंसिल के सदस्यों को छोड़कर लगभग सभी मंच पर मौजूद थे।

“देश के हर गांव में एक सहकारी समिति का गठन हो और इसके लिए एनसीयूआई अपने सदस्य समितियों के साथ मिलकर रणनीति बनाएगी। इसके लिए हमें दृढ़ इच्छा शक्ति और “सहकार से समृद्धि” मंत्र की गहन अनुभूति की आवश्यकता है”, अध्यक्ष ने किया।

इस अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद देते हुए संघानी ने कहा कि मोदी सरकार ने इस वर्ष के बजट में सहकारिता के लिए रु. 900 करोड़ का प्रावधान किया गया है। सहकारी समितियों पर लगने वाले सरचार्ज को 12 प्रतिशत से घटाकर 7 प्रतिशत कर दिया गया है तथा वित्त वर्ष 2022-23 के लिए एम. ए.टी. को 18.5 प्रतिशत से घटाकर 15 प्रतिशत कर दिया है।

“देश में 8.5 लाख से ज्यादा सहकारी समितियों का विस्तृत नेटवर्क है जो समाज के गरीब तबके के लोगों के जीवन का बहुत बड़ा सहारा है। हमारे माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी के सहकारिता के प्रति असीम आस्था के चलते उन्होंने पिछले वर्ष जुलाई में अलग से सहकारिता मंत्रालय का गठन किया”, संघानी ने कहा।

उन्होंने आगे कहा,  सरकार राष्ट्रीय सहकारी नीति जल्दी ही घोषित करने वाली है। इसके लिए 47 सदस्यों वाली समिति भी गठित हो गई है जिसका मैं भी सदस्य हूं। इसके लिए आप सभी के सुझावों का स्वागत है। नई सहकारी नीति बदलते सहकारी परिदृश्य की मांग है।

एनसीसीटी के मुद्दे पर, संघानी ने कहा कि राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद के माध्यम से सहकारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों को सुचारू रूप से चला रहा था, लेकिन वर्ष 2018 में सरकार ने राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद को सोसायटी एक्ट में रजिस्टर कराकर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ से अलग कर दिया। इससे देश के सहकारी प्रशिक्षण कार्यक्रमों के संचालन में काफी परेशानी आई है, और इन कार्यक्रमों का प्रभाव भी कम हो गया है।”

“नए सहकारी मंत्रालय के गठन के बाद हमें विश्वास है कि राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद का भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ में पुनः विलय हो जाए ताकि सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण मिलजुलकर एक अंब्रेला संस्था के तहत सहकारी समितियों का विकास ‘सहकार से समृद्धि’ के अनुरूप कर सकें। इस दिशा में भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ निरंतर प्रयास कर रहा है”, संघानी ने कहा।

उन्होंने कहा, “हमने एमएससीएस अधिनियम में कुछ प्रावधान को लेकर सुझाव दिया है और इस संदर्भ मैं मैंने श्री अमित शाह को पत्र लिखा है। हमें उम्मीद है कि जब संसद में संशोधन विधेयक पारित होगा तो सरकार हमारे सुझावों को सुनेगी ताकि सहकारी समितियों की स्वायत्तता बनी रहे।”

अपने अध्यक्षीय भाषण में संघानी में एनसीयूआई हाट, सहकारी उद्यमिता विकास प्रकोष्ठ (सीईडीसी), जर्मन विकास निगम, रेन मैटर फाउंडेशन, आर्ट ऑफ लिविंग, एचआईवी / एड्स एलायंस, नेशनल एसोसिएशन ऑफ स्ट्रीट वेंडर्स जैसी पहलों का उल्लेख किया।

फील्ड प्रोजेक्ट पर संघानी ने कहा कि ’सहकार से समृद्धि’ के नारे को सच साबित करने के लिए इन परियोजनाओं का विस्तार होना आवश्यक है और इसी कारण इनकी संख्या 34 से बढ़ाकर 100 करने का लक्ष्य रखा गया है, इसके लिए हमें सरकार से सहायता अपेक्षित है। सहकारिता मंत्रालय के सुझाव पर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ देश में स्थित 117 जूनियर कोआपरेटिव ट्रेनिंग सेंटर्स की समीक्षा कर रही है ताकि सहकारी सदस्य शिक्षा प्रणाली जमीनी स्तर तक जा सके, और जिससे जिलों की मैपिंग हो सके, संघानी ने जोड़ा।

जेम पोर्टल पर संघानी ने कहा अभी हाल में सरकार ने सहकारिताओं को जेम पोर्टल पर सहकारिताओं को उनको विक्रेता के साथ में सामान बेचने की अनुमति दी है और इस कार्य के लिए भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ को नोडल एजेंसी बनाया है। अभी तक 589 सहकारिताएं इस पोर्टल पर ऑनबोर्डिंग के लिए योग्य पाई गई हैं”, उन्होंने बताया।

इस अवसर पर राजस्थान के आर पी बघेल, कोल्हापुर से एमएल चोंगले, बलिया से चंद्रशेखर सिंह, तुमकुर से एम एस जय कुमार, कर्नाटक के गुरुनाथ जयंतीकर सहित कई प्रतिनिधियों ने अपने विचार रेख।

एनसीयूआई के उपाध्यक्ष बिजेंद्र सिंह ने धन्यवाद प्रस्ताव रखा।

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