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शाह ने एनसीडीएफआई कार्यक्रम में दुग्ध उत्पादन बढ़ाने पर दिया जोर

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने गुजरात की राजधानी गांधीनगर में नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड के स्वर्ण जयंती समारोह को मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। इस कार्यक्रम में सहकारिता मंत्रालय के सचिव समेत अनेक गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।

अमित शाह ने कहा कि वहाँ एक बहुआयामी कार्यक्रम हुआ, जिसमें राष्ट्रीय डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड“वेस्ट से वेल्थ” की अवधारणा को सजीव करने के लिए “गोबरधन योजना” की शुरुआत करने जा रही है। इसमें गुजरात सरकार भी अपना योगदान दे रही है। उन्होंने कहा कि आज डेयरी के क्षेत्र में किसानों तक उनका अधिकार और रूपया पहुँचाने के लिए इलेक्ट्रॉनिक व्यवस्था के साथ अच्छा कार्य करने वालों को पुरस्कार भी दिए गए हैं। साथ ही आज डेयरी संघ के स्वर्ण जयंती का अवसर भी है।

इस अवसर पर उन्होंने एनसीडीएफआई से संबद्ध 223 ज़िला सहकारी दुग्ध उत्पादक संघ, 27 राज्य संघ और अनेकानेक ग्रामीण दूध उत्पादन सहकारी समितियों को बहुत-बहुत बधाई भी दी।

केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री ने कहा कि इस सहकारिता आंदोलन ने भारत को न केवल दूध के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया है बल्कि देश की आने वाली पीढ़ियों को पोषणयुक्त बनाकर कुपोषण की समस्या हल करने में अमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने कहा कि अगर सरदार पटेलमोरारजी देसाई और त्रिभुवन दास ने दूध के सहकारिता आंदोलन से देश के एक आर्थिक शक्ति के रूप में उभरने की कल्पना नहीं की होती तो आज पोषण के मामले में हम कहाँ होते, ऐसा सोचते ही एक भयावह चित्र हमारे सामने खड़ा हो जाता।

शाह ने कहा कि दलहन और तिलहन के मुक़ाबले आज दूध के क्षेत्र में कोई समस्या नहीं है क्योंकि दूध के क्षेत्र में सहकारिता आंदोलन ने मज़बूत होकर अनेक राज्यों में अच्छा काम किया है और इसमें एनसीडीएफआई की बहुत बड़ी भूमिका है। उन्होंने कहा कि करोड़ों लोगों ने बूँद बूँद करके देशभर में दूध की धारा बहाई है और इसमें सहकारिता क्षेत्र का सबसे बड़ा योगदान है।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि कोई भी संस्था जब 50 साल की हो जाती है तो ऐसा कहते हैं कि वह कालबाह्य हो जाती है क्योंकि समय बदलता है और संस्था जस की तस चलती रहती है और धीरे-धीरे समय उसको अनुपयोगी बना देता है। इसलिए स्वर्ण जयंती अच्छे कामों को याद कर गौरव महसूस करने का अवसर तो है ही साथ ही आज संस्था में किस परिवर्तन की ज़रूरत है उस पर भी विचार करने का समय होता है।

अगर यह आत्मचिंतन नहीं होता तो संस्थाएं अप्रासंगिक और कालबाह्य हो जाती हैं क्योंकि समय परिवर्तनशील है। इसलिए संस्थाओं में परिवर्तन करने के लिए स्वर्ण जयंती से अच्छा अवसर नहीं हो सकता

अमित शाह ने कहा कि यह दुनिया में सबसे बड़ा दुग्ध उत्पादक होकर संतोष करने का समय नहीं हैअभी भी कुछ राज्यों में बहुत संभावनाएं हैं, जिनका दोहन करना बाक़ी है। उन्होंने कहा कि एनसीडीएफआई को इन सभी संभावनाओं के दोहन का काम करना चाहिए और राज्य सरकारों के साथ मिलकर सभी बाधाओं को दूर करने का प्रयास करना चाहिए।

केन्द्रीय सहकारिता मंत्री ने कहा कि नेशनल कोऑपरेटिव डेयरी फेडरेशन ऑफ इंडिया (एनसीडीएफआई) का सबसे पहला काम सभी राज्यों की संभावनाओं को तलाश कर जो बाधाएं हैं उन्हें दूर करना; दूसरा, उत्पादन बढ़ने पर दुनिया में स्पर्धा के साथ उसे बेचना और उसके लिए उत्पादन लागत नीचे लाने का काम करना होगा। साथ ही गोबर का उपयोग और इससे अतिरिक्त आय कैसे होइस पर सोचना होगा।

इसके अलावा अच्छी नस्ल के पशुओं पर काम करनाप्रोसेसिंग कॉस्ट को नीचे लाना और इसका सजगता के साथ रिव्यू करना तथा पशुओं के पोषण आहार की लागत को भी नीचे लाना होगा। इन चार चीज़ों पर ध्यान देकर हमें दूध उत्पादन की लागत को नीचे लाना होगा और निर्यात के लक्ष्यों को ऊंचा कर दुनिया भर में भारत का दूध और इसके उत्पाद भेजने की तैयारी करनी होगी। उन्होंने कहा कि जब दूध उत्पादन बढ़ेगा तो दुनिया में इसे बेचने के प्रयास करने के लिए इन चार क्षेत्रों में हमें लागत नीचे लाने का प्रयास करना होगापीआईबी की ओर से जारी प्रेस विज्ञप्ति के मुताबिक।

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