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कृषि अर्थव्यवस्था में एग्रीटेक स्टार्टअप की भूमिका अहम: तोमर

केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित जवाब में दावा किया कि नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास कार्यक्रम के अंतर्गत, एग्रीटेक स्टार्ट-अप सहित कृषि और संबद्ध क्षेत्र में कुल 799 स्टार्ट-अप को तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान की गई है।

इस कार्यक्रम के कार्यान्वयन के लिए उत्कृष्टता केंद्र के रूप में पांच ज्ञान भागीदार  (केपी) और चौबीस आरकेवीवाई-रफ़्तार एग्रीबिजनेस इनक्यूबेटर (आर-एबीआई) नियुक्त किए गए हैं।

यह स्मरणीय है कि मंत्रालय 2018-19 से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई-रफ़्तार) के तहत नवाचार और कृषि-उद्यमिता विकास नामक एक कार्यक्रम को लागू कर रहा है, जिसका उद्देश्य डिजिटल तकनीकों का उपयोग करते हुए एग्रीटेक स्टार्टअप सहित कृषि स्टार्टअप को पोषित करने के लिए वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करके नवाचार और कृषि-उद्यमिता को बढ़ावा देना है।

इसके अलावा, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) वर्ष 2016-2017 से शुरू की गई राष्ट्रीय कृषि नवाचार कोष (एनएआईएफ) नामक परियोजना के तहत डिजिटल तकनीकों का उपयोग करके एग्रीटेक स्टार्टअप सहित कृषि-आधारित स्टार्टअप की सहायता कर रहा है।

इसके दो घटक हैं, अर्थात- 1. इनोवेशन फंड; 2. इनक्यूबेशन फंड और नेशनल कोऑर्डिनेटिंग यूनिट (एनसीयू)। आईसीएआर एग्रीबिजनेस इन्क्यूबेटर्स(एबीआई) एग्रीटेक स्टार्ट-अप्स सहित स्टार्टअप्स/उद्यमियों को तकनीकी सहायता और अन्य इनक्यूबेशन सेवाएं प्रदान करते हैं। आईसीएआर ने 50 संस्थानों में अपने एबीआई के माध्यम से एग्रीटेक स्टार्टअप सहित कुल 818 स्टार्टअप की सहायता की है।

हरियाणा में कृषि और संबद्ध क्षेत्र में स्टार्टअप की सहायता के लिए चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय (सीसीएसयू), हिसार में एक आर-एबीआई की स्थापना की गई है। डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने वाले चयनित एग्रीटेक स्टार्टअप करनाल सहित किसानों को लाभान्वित करने के लिए कार्यक्रम के तहत सीसीएसयू, हिसार, हरियाणा में स्थापित इनक्यूबेशन सेंटर में तकनीकी और वित्तीय सहायता ले सकते हैं।

आईसीएआर के एनएआईएफ कार्यक्रम के तहत, राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान (एनडीआरआई ), करनाल में एक कृषि-व्यवसाय ऊष्मायन (एबीआई) केंद्र स्थापित किया गया है। करनाल में डिजिटल तकनीकों का उपयोग करने वाले चयनित एग्रीटेक स्टार्टअप उपरोक्त ऊष्मायन केंद्र में तकनीकी सहायता ले सकते हैं।

ये स्टार्टअप कृषि अर्थव्यवस्था से संबंधित समस्याओं को हल करके किसानों को लाभान्वित करते हैं और कृषि क्षेत्र की लाभप्रदता और दक्षता को बढ़ाते हैं।

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