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सहकारिता के माध्यम से गांव बनें आत्मनिर्भर: संघानी

सहकार भारती की दिल्ली इकाई ने पिछले सप्ताह सहकारी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों पर एक कार्यक्रम का आयोजन कियाजिसमें एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीपभाई संघानी मुख्य अतिथि थे।

इस मौके पर सहकारी नेताओं ने सहकारी मॉडल के माध्यम से भारत के गांवों को मजबूत बनाने पर विचार-विमर्श किया। बैठक में सहकारी चुनाव में पारदर्शिता लाने के लिए एक अलग निकाय के गठन पर जोर दिया गया।

सहकार भारती के नवनिर्वाचित अध्यक्ष डी एन ठाकुरराष्ट्रीय महासचिव उदय जोशीज्योतिंद्र मेहतादिल्ली चैप्टर के अध्यक्ष अवधेश त्यागीएसआरसीसी की प्रोफेसर डॉ. मल्लिका कुमारनैकोफ के अध्यक्ष राम इकबाल सिंहकेशव सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष जयप्रकाश गुलाटी समेत अन्य लोगों ने बैठक में शिरकत की।

अपने संबोधन की शुरुआत में एनसीयूआई के अध्यक्ष दिलीपभाई संघानी ने सहकारिता के लिए एक अलग मंत्रालय बनाने और इसके लिए अलग बजटीय प्रावधान करने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद किया।

वास्तव मेंकेंद्र सरकार के इस कदम से भारत के सहकारिता आंदोलन को बल मिलेगा। हमें आंदोलन को नई ऊंचाइयों पर ले जाने के लिए सकारात्मक सोच रखने की जरूरत है”, उन्होंने कहा।

सहकार भारती के प्रयासों की सराहना करते हुएसंघानी ने कहा, “भारत में कोई अन्य संगठन नहीं हैजो सहकारी क्षेत्र को सशक्त बनाने के लिए पूरी तरह से काम कर रहा है। जमीनी स्तर पर संगठन का मजबूत नेटवर्क है। एक समारोह में केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने भी सहकार भारती के प्रयासों की सराहना की थी”, एनसीयूआई अध्यक्ष ने रेखांकित किया।

प्रतिभागियों को संबोधित करते हुएसहकार भारती के अध्यक्ष डी एन ठाकुर ने कहा, “केंद्र सरकार ने केंद्रीय बजट में सहकारी क्षेत्र पर विशेष ध्यान दिया है और 900 करोड़ रुपये का आवंटन किया हैजो सहकारिता आंदोलन के इतिहास में पहली बार हुआ है। सहकारिता आंदोलन को गांवों तक ले जाने के लिए हमें मिलकर आगे आना होगा।

सहकार भारती के राष्ट्रीय महासचिव उदय जोशी ने कहा, “नई सहकारी नीति बनाने की तत्काल आवश्यकता है। सहकारी चुनाव पूरी पारदर्शिता के साथ कराने के लिए अलग निकाय बनाया जाए। सहकारी समितियों की पंजीकरण प्रक्रिया को आसान बनाया जाए।

इस अवसर पर धन्यवाद प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए मेहता ने प्रतिभागियों को बताया कि सहकारिता आंदोलन देश के सकल घरेलू उत्पाद में 24 प्रतिशत का योगदान देता है और ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था को प्राप्त करने में सहकारिता का योगदान अहम होगा।

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