कृषि

फसल बीमा किसानों के लिए सार्थक : मंत्री

एनडीए सरकार ने माना कि अतीत में सभी फसल बीमा योजनाएं देश के किसानों के लिये विफल साबित हुयी है। जैसे 1985 की फसल बीम योजना (सीसीआईएस), 1999-2000 की राष्ट्रीय कृषि बीमा योजना (एनएआईएस), 2013-2014 राष्ट्रीय फसल बीमा योजना आदि किसानों को मजबूत बनाने में असफल  साबित हुयी है।

फसल बीमा को कैसे किसानों तक पहुंचाया जा सके, इस विषय पर एक राष्ट्रीय सम्मेलन भोपाल में आयोजित किया गया। इस सम्मेलन में फसल बीमा योजना के माध्यम से कैसे किसानों को सशक्त बनाया जाए इस पर भी चर्चा हुई।

केन्द्रीय कृषि मंत्री श्री राधा मोहन सिंह ने भोपाल में फसल बीमा पर आयोजित एक राष्‍ट्रीय सम्‍मेलन को संबोधित किया। श्री सिंह ने इस अवसर पर कहा कि मौजूदा फसल बीमा कार्यक्रम के तहत किसानों की बढ़ती हुई प्रीमियम दर के मुद्दे की समीक्षा की जा रही है। हमें इस प्रीमियम दर को उस स्‍तर पर लाने के लिए प्रयास करना होगा जो किसानों के लिए वहनीय हो।

कृषि भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था का मुख्‍य आधार है। यह सकल घरेलू उत्‍पाद में 16 प्रतिशत का योगदान देती है, 52 प्रतिशत रोजगार देती है और 60 प्रतिशत से अधिक आबादी को आजीविका प्रदान करती है, राष्‍ट्र की सभी खाद्य एवं पोषाहार आवश्‍यकता के लिए उत्‍पादन करती है और कुछ मुख्‍य उद्योगों को कच्‍चा माल प्रदान करती है, सिंह ने कहा।

हमने मंत्रालय में बीमा उत्‍पाद पर और अधिक सुधार के लिए राज्‍यों एवं अन्य सभी पणधारियों के साथ विचार विमर्श शुरु किया है, जो किसानों को न केवल फसल हानि के विरूद्ध बिमा करेगा बल्‍कि उनकी आय को भी सुरक्षा प्रदान करेगा। विभिन्‍न फसल योजनाओं के कार्यान्‍वयन के लिये बहुत से अन्‍य मुद्दे हैं जिन पर वर्तमान में विचार विमर्श किया जा रहा है, सिंह ने कहा।

मंत्री ने कहा कि बीमा योजना के प्रारूप को विकसित करने के लिए आवश्‍यक इनपुट प्राप्‍त करने में यह सेमिनार लाभप्रद रहेगा। मुझे विश्‍वास है कि सम्‍मेलन में हुए विचार विमर्श, नई फसल बीमा योजना को तैयार करने में सहायक होगा जो प्रभावी रूप से किसानों के हितों की रक्षा करने में सक्षम  हो, सिंह ने कहा।

 

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