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उर्वरक सब्सिडी में बढ़ोत्तरी

सरकार खाद्य पदार्थों के मुल्यों मे वृद्धि से परेशान है. इसने मंगलवार को उर्वरक सब्सिडी को बढ़ाने का निश्चय किया जिससे कि यूरिया, डीएपी और एमओपी की घरेलू कीमतों को बरकरार रखा जा सके.

वित्त मंत्री प्रणव मुखर्जी की अध्यक्षता में  मंत्रियों के समूह की बैठक हुई जिसमें उर्वरक की कीमतों की समीक्षा की गई.

“सब्सिडी स्तर बढ़ाया जाएगा जिससे कि मुल्यों को वहन करने लायक बरकरार रखा जा सके.  हम विवरण तैयार कर रहे है” -उर्वरक सचिव सुतनु बेहूरिया ने नई दिल्ली में संवाददाताओं से कहा.

उन्होंने कहा कि विश्व बाजार में कीमतों में वृद्धि हुई है फिर भी हमें अधिकतम खुदरा मुल्य को एक उचित स्तर पर बनाए रखना चाहिए.  सरकार सब्सिडी के जरिए विश्व बाजार के बढ़े मुल्यों का बोझ वहन करेगी.

वैश्विक बाजार में डीएपी की कीमत प्रति टन लगभग 630 डॉलर है और एमओपी 400-420 डालर के आसपास है, लेकिन बेंचमार्क कीमत जिस पर सरकार उर्वरक कंपनियों को सब्सिडी की प्रतिपूर्ति करती है, क्रमशः 450 डालर प्रति टन और 350 डालर प्रति टन है.

यह आशंका जताई गई है कि मुद्रास्फीति जो पहले से ही काफी अधिक है, और बढ़ेगी क्योंकि उर्वरकों की अधिक कीमतों से खाद्य पदार्थों के उत्पादन की लागत में भी वृद्धि हो जाएगी.   2009-10 में उर्वरक सब्सिडी  64,000 करोड़ रुपए से अधिक तक पहुंच गई थी. सब्सिडी उर्वरक निर्माताओं के लिए दी जाती है.

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