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एनसीयूआई: चंद्रपाल ने मंत्री के समक्ष सहकारिता से जुड़े मुद्दों को उठाया

देश की सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ. चंद्र पाल सिंह यादव ने गुरुवार को केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री से मुलाकात की और इस दौरान उन्होंने मंत्री के समक्ष देश के सहकारी आंदोलन से जुड़े कई मुद्दों को उठाया। यादव के साथ एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी एन सत्यनारायण भी थे। मंत्री ने सभी मुद्दों को धैर्यपूर्वक सुना और कार्रवाई का आश्वासन दिया।

उल्लेखनीय है कि एनसीयूआई-एनसीसीटी के गतिरोध के मद्देनजर, मंत्रालय ने पिछले वित्तीय वर्ष में एनसीयूआई को फंड जारी नहीं किया, जिसके कारण संस्था को वित्तीय संकंट से जूझना पड़ रहा है। चंद्र पाल ने कहा, ‘हमने मंत्री को अवगत कराया कि फंड की कमी के कारण फील्ड प्रोजेक्ट से जुड़े अधिकारियों को वेतन देने में काफी दिक्कत हो रही है।’

एनसीयूआई-एनसीसीटी के मुद्दे पर मंत्री एक समझौता वार्ता के पक्ष में हैं ताकि मामला अदालत में लंबित न रहे। इस मुद्दे की जानकारी रखने वाले लोगों का कहना है कि इस मामले को हल किया जा सकता है अगर एनसीयूआई कुछ मामलों में मंत्रालय को अधिकार प्रदान करे, जैसे कि अपनी पसंद का सीई नियुक्त करना या शीर्ष निकाय की गवर्निंग काउंसिल में सरकार के अधिक उम्मीदवार होना।

वार्ता की रूपरेखा अभी तक बताई नहीं गई है लेकिन लब्बोलुआब यह है कि मंत्रालय एनसीयूआई का अधिक नियंत्रण चाहता है। सूत्रों ने कहा, “यह किस तरह से आकार लेगा यह अभी इस पर निर्णय बाकी है।”

एनसीयूआई अध्यक्ष और मुख्य कार्यकारी ने जिस अन्य मुद्दों को उठाया, वह है एनसीयूआई द्वारा प्रत्येक चार वर्ष में एक बार प्रस्तावित “सहकारी कांग्रेस” में प्रधानमंत्री की भागीदारी। बैठक के बाद मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने कहा, “हम चाहते हैं कि प्रधानमंत्री इसका उद्घाटन करें और मंत्री से अनुरोध करें कि वह हमें प्रधानमंत्री से तारीख दिलाने में मदद करें”।

दिल्ली में 2013 में आयोजित 16वीं भारतीय सहकारी कांग्रेस का उद्घाटन भारत के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने किया था।कांग्रेस में देश और विदेश के सैकड़ों प्रतिनिधियों ने भाग लिया था।

एनसीयूआई के अध्यक्ष ने मंत्री के साथ 97वें संवैधानिक संशोधन के भाग्य पर भी चर्चा की जो कई वर्षों से अदालत में है। चंद्र पाल ने कहा, “हमें मामले में मंत्रालय से पर्याप्त सहयोग नहीं मिला और हमने मंत्री को समझाने की कोशिश की।”

महत्वाकांक्षी 97वें संवैधानिक संशोधन अधिनियम में सहकारी को एक पारदर्शी उद्यम बनाने की शक्ति है। अधिनियम सहकारी समितियों के खिलाफ समय-समय पर लगाए गए दुर्भावनापूर्ण या वास्तविक आरोप से मुक्त करेगा। सहकारी समिति की स्थापना के अलावा, एक मौलिक अधिकार, 97वां संशोधन पूरे देश में एक समान सहकारी अधिनियमों की व्यवस्था करता है।

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