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एनसीसीटी: वी पी सिंह को 10 दिनों में स्टे आर्डर की उम्मीद

एनसीसीटी को शीर्ष सहकारी संस्था एनसीयूआई से अलग करने के सरकार के आदेश पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ एडवोकेट और गवर्निंग काउंसिल के सदस्य वी पी सिंह ने कहा कि सरकार इस तरह आदेश जारी करके एनसीयूआई की शिक्षा विंग एनसीसीटी को अलग नहीं कर सकती। इस आदेश के खिलाफ हम जल्द ही कोर्ट में याचिका दायर करेंगे, सिंह ने बातचीत में भारतीय सरकारिता को कहा।

सिंह ने कहा कि एनसीसीटी को भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) के उप-नियमों के तहत बनाया गया था और सरकार के पास इनको अलग करने का अधिकार नहीं है।

एनसीसीटी, एनसीयूआई की एक अविभाज्य इकाई है और इसे मनमानी ढ़ंग से सरकार अलग नहीं कर सकती है, उन्होंने आगे कहा। ये सही है कि इसका संचालन सरकार द्वारा आवंटित निधि से हाल तक किया जाता रहा है लेकिन इन दिनों ये कॉर्पस फंड के बल पर चल रही है और सरकार इसे अपने हाथों में नहीं ले सकती, सिंह ने कहा। सिंह एनसीयूआई को कानूनी मामलों पर राय देते रहे हैं।

वी पी सिंह ने प्रस्तावित याचिका का जिक्र करते हुए कहा कि “एनसीसीटी को भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ (एनसीयूआई) के उप-नियमों के तहत बनाया गया है और इस पर सरकार का कोई हक नहीं है। एनसीयूआई के  वरिष्ठ एडवोकेट होने के नाते मैं इस मुद्दे पर कोर्ट में बहस करूंगा।

सिंह ने अवगत कराया कि एडवोकेट ओम प्रकाश एनसीयूआई के उप-नियमों के आधार पर याचिका तैयार कर रहे हैं और उन्हें उम्मीद है कि सरकार के इस निर्णय पर जल्द ही स्टे आर्डर मिल जाएगा। “मुझे उम्मीद है कि अगले 10 दिनों में हमारे हाथ में स्टे आर्डर होगा”, उन्होंने भारतीय सहकारिता से कहा।

इस बीच, एनसीयूआई के पूर्व मुख्य कार्यकारी अधिकारी भगवती प्रसाद को इस मुद्दे पर कानूनी परामर्श लेने के लिए दिल्ली बुलाया गया था। गौरतलब है कि प्रसाद लखनऊ में रहते हैं।

पाठकों को ज्ञात होगा कि पिछले सप्ताह बेंगलुरु में आयोजित गवर्निंग काउंसिल की बैठक में सदस्यों ने इस मुद्दे पर जमकर हल्ला बोला था और एनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्रपाल सिंह यादव और उनकी टीम से सरकार के इस निर्णय पर रणनीति तैयार करने को कहा गया था। दिल्ली में लगातार रहते हुए इन दिनों चंद्रपाल सिंह यादव  सरकार के इस आदेश पर स्टे आर्डर लेने के लिए कानूनी उपायों को ढूंढने में सक्रिय है।

एक अंदरूनी सूत्र ने बताया कि पहला और सबसे महत्वपूर्ण काम याचिका दायर कर स्टे आर्डर लेना है। मंत्रालय के साथ बातचीत बाद में भी की जा सकती है।

पाठकों को याद होगा कि कृषि मंत्रालय ने एनसीसीटी को एनसीयूआई से अलग करने पर एक आदेश जारी किया है। पत्र 22 फरवरी को जारी किया गया था जिसका शीर्षक था “राष्ट्रीय सहकारी प्रशिक्षण परिषद (एनसीसीटी) को स्वतंत्र, केंद्रीय और व्यावसायिक संस्था बनाने को लेकर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ से अलग करना”।

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