देश में कई छोटे अर्बन कॉपरेटिव बैंक गरीब लोगों के जीवन स्तर को बदलने में अहम भूमिका निभा रहे हैं। इस दिशा में महाराष्ट्र स्थित जिजाऊ कमर्शियल कॉपरेटिव बैंक ने वित्त वर्ष 2018-19 में अच्छा प्रदर्शन किया है और 2020 तक 500 करोड़ रुपये के लक्ष्य को पार करने का संकल्प लिया है।
भारतीय सहकारिता से बातचीत में बैंक के अध्यक्ष अविनाश कोथले ने कहा कि, “हमने 2020 तक 500 करोड़ रुपये का कारोबार करने का लक्ष्य बनाया है। हमने वर्ष 2018-19 के दौरान 380 करोड़ रुपये से अधिक का व्यापार किया है।
बैंक का डिपोजित 200 करोड़ से बढ़कर 240 करोड़ रुपये हो गया है और ऋण तथा अग्रिम 127 करोड़ रुपये से बढ़कर 139 करोड़ रुपये हो गए। इस साल भी बैंक का नेट एनपीए “जीरो” बना रहा, कोथले ने कहा।
बैंक की महाराष्ट्र में 11 शाखाएं हैं और अन्य क्षेत्रों में विस्तार करने की योजना बना रहा है। उन्होंने कहा कि, ‘हमने छ: शाखाओं के लिए आवेदन किया है और भारतीय रिजर्व बैंक से अनुमति का इंतजार कर रहे हैं”।
वित्त वर्ष 2018-19 में बैंक का शुद्ध लाभ 2.50 करोड़ रुपये हो गया है, जो पिछले वित्त वर्ष 2.25 करोड़ रुपये था।
उन्होंने कहा, “यद्यपि बाजार की प्रतिकूल परिस्थितियों के कारण हम नए ग्राहकों को संतुष्ट रखने और उन्हें नए ऋण देने की चुनौती का सामना कर रहे हैं। हम दो साल के लिए जमा पर 9% की दर से ब्याज दे रहे हैं और हम महिलाओं को 10 प्रतिशत की ब्याज दर पर 2 लाख रुपये तक के ऋण दे रहे हैं”।
अविनाश कोथले सरकारी प्रतिभूतियों के कारण अप्रसन्न हैं। अतीत को याद करते हुए कोथले ने कहा कि पहले यूसीबी जिला केंद्रीय बैंकों में फंड जमा करने के लिए स्वतंत्र थे लेकिन अब पैसा सरकारी प्रतिभूतियों में 20 साल अटक जाता है। आरबीआई को कम से कम 2-3 साल में हमें सिक्योरिटीज बेचने की अनुमति देनी चाहिए – उन्होंने अपनी मांग को थोड़ा नम्र करते हुए कहा।
बैंक की स्थापना 2000 में हुई थी और 8 वर्षों से अधिक समय से बैंक का शुद्ध एनपीए शून्य बना हुआ है।