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इफको चुनाव: मुख्यमंत्रियों के हस्तक्षेप की बात सामने आई

इफको चुनाव से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से सुर्खियां बटोर रहे हैं। कुछ उम्मीदवारों का आरोप है ​​कि राज्यों के मुख्यमंत्रियों ने अपनी पसंद के उम्मीदवारों को जीतने के लिए इफको चुनाव में दखलअंदाजी कर रहे हैं। ऐसा ही एक दिलचस्प मामला कर्नाटक के आरजीबी सदस्य उत्तम पाटिल से जुड़ा है।

बता दें कि पाटिल ने बोर्ड पद के लिए नामांकन पत्र दाखिल किया था। उनका कहना है कि उनके प्रतिद्वंद्वी के एस गौड़ा राज्य के मुख्यमंत्री को अपने पक्ष में करने में सक्रिय हैं। गौड़ा एक वरिष्ठ सहकारी नेता हैं, जो इफको की इंश्योरेंस कंपनी “इफको-टोकियो” के अध्यक्ष हैं।

ऐसा ही एक दिलचस्प मामला गुजरात के एक दिग्गज सहकारी नेता अजयभाई पटेल से जुड़ा है। पटेल ने बोर्ड पद के लिए नामांकन दाखिल किया था। उन्होंने भारतीय सहकारिता को बताया कि गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपानी चाहते थे कि वे चुनाव न लड़ें और जयेश रदाडिया को निर्विरोध निर्वाचित होने दें।

गुजरात के मामले में आपसी सलाह से बात बन सकती थी क्योंकि दोनों ही भाजपा के नेता हैं। लेकिन कर्नाटक में स्थिति बिल्कुल अलग है। सूत्रों का कहना है कि 10 मई को गौड़ा आसानी से निर्वाचित हो सकेंगे क्योंकि उत्तम पाटिल अपना नामांकन पत्र वापस ले लेंगे।

‘भारतीय सहकारिता’ से बात करते हुए उत्तम पाटिल ने कहा कि, “कर्नाटक के मुख्यमंत्री एच. डी. कुमारस्वामी इफको के चुनाव में व्यक्तिगत रुचि ले रहे हैं। माना जाता है कि मुख्यमंत्री ने एम एन राजेंद्र कुमार (मार्केटिंग फेडरेशन निर्वाचन क्षेत्र से इफको के निवर्तमान निदेशक) को उत्तम पाटिल के बजाय श्रीनिवास गौड़ा का समर्थन करने के लिए कहा है।”

नामांकन पत्रों की जांच हो गई है। ऐसी अटकलें हैं कि पाटिल खुद इस मुक़ाबले से हट सकते हैं। विदित हो कि श्रीनिवास गौड़ा कर्नाटक के कोलार से जनता दल (सेक्युलर) के मौजूदा विधायक हैं।

‘भारतीय सहकारिता’ के साथ एक टेलीफोनिक बातचीत में उत्तम पाटिल ने के.एस. गौड़ा के साथ आरजीबी सदस्यों की हाल ही में हुई बैठक के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि “रविवार को हुबली में एक बैठक का आयोजन किया गया था, जिसमें 25 से अधिक आरजीबी सदस्य मौजूद थे। गौड़ा ने सदस्यों से चुनाव में उनका समर्थन करने और उन्हें एक और मौका देने का आग्रह किया क्योंकि यह उनकी आखिरी पारी है।“

उत्तम पाटिल ने प्रतिद्वंद्वी उम्मीदवारों द्वारा उन्हें रेस से बाहर होने के लिए प्रलोभनों की बात भी की। पाटिल ने आगे कहा कि, “गौड़ा को डर है कि वह अपनी सीट खो देंगे।” 

के एस गौड़ा से ज्यादा पाटिल ने राजेन्द्र कुमार की अलोचना की है। उन्होंने बताया कि राजेन्द्र के कहने पर मैंने अपना नामांकन पत्र दाखिल किया था। राजेंद्र कुमार पहले मेरे पक्ष में कैंपेनिंग कर रहे थे  लेकिन ऊपर से दबाव के कारण उन्होंने अब अपना मन बदल दिया”, पाटिल ने मुख्यमंत्री के हस्तक्षेप की ओर संकेत दिया।

स्थिति को देखते हुए पाटिल दिल्ली में इफको के एमडी डॉ. यू एस अवस्थी से मिलने पहुंचे, जिन्होंने उन्हें प्रक्रिया के निष्पक्ष और पारदर्शी होने का आश्वासन दिया। लेकिन एक अत्यधिक स्थानीयकृत माहौल में, यह उस निर्वाचन क्षेत्र के आरजीबी सदस्यों पर निर्भर है कि वे किसे चुनते हैं। इफको मुख्यालय में एक चुनाव अधिकारी ने कहा कि एमडी या रिटर्निंग ऑफिसर किसी भी तरह की मदद नहीं कर सकते।

इफको चुनाव में कर्नाटक अकेला राज्य निर्वाचन क्षेत्र में आता है जहां से लगभग 69 वोट हैं। 40 प्रतिशत से अधिक आरजीबी सदस्य नए हैं और यही एक कारण है कि निवर्तमान निदेशक गौड़ा को इस बार लड़ाई कठिन लग रही है।

पाटिल ने जोर देकर कहा कि कर्नाटक के मंत्री डी के शिवकुमार भी चुनाव में हस्तक्षेप कर रहे हैं।

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