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सहकारी बैंक मुद्रा योजना में रहा फिसड्डी

तीन साल पहले मोदी सरकार की ओर से शुरू की गई मुद्रा योजना में सहकारी बैंकों की भूमिका पर भारतीय सहकारिता ने एक अध्ययन किया तो पाया कि सहकारी बैंकिंग क्षेत्र का इस योजना में प्रदर्शन निराशाजनक रहा है।

मंगलवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दूरसंचार के माध्यम से मुद्रा योजना के लाभार्थियों से बातचीत की थी। मोदी ने कहा कि बैंकों और वित्तीय संस्थानों ने मुद्रा योजना के तहत 12 करोड़ लाभार्थियों को 6 लाख करोड़ रुपये का ऋण दिया है, और इस योजना से बिचौलियों और धन उधारदाताओं को मुंह की खानी पड़ी है जो एंटरप्रेन्योर के सपने को साकार होने से रोकते थे।

भारतीय सहकारिता द्वारा एकत्र रिपोर्ट के मुताबिक केवल 14 शहरी सहकारी बैंक और राज्य सहकारी बैंक मुद्रा योजना के तहत पंजीकृत है। पाठकों को ध्यान होगा कि देश में करीब 1500 अर्बन कॉपरेटिव बैंक है और इस योजना में शामिल मात्र 14 सहकारी बैंकों का यह आंकड़ा वास्तव में निराशाजनक है।

लेकिन सहकारी बैंकों का यह छोटा सा आंकड़ा भी मुद्रा योजना में भाग लेने में पूरी तरह से असफल रहा है। इसको समझाते हुए सहकार भारती संरक्षक सतीश मराठे ने कहा कि, “सभी अनुसूचित शहरी सहकारी बैंक मुद्रा बैंक से पुनर्वित्त प्राप्त करने के पात्र हैं, लेकिन इनमें से कई यूसीबी कम सीडी अनुपात होने के कारण पुनर्वित्त का लाभ नहीं उठा पाए हैं।“

इस पर अपनी प्रतिक्रिया देते हुए टीजेएसबी सहकारी बैंक के सीईओ सुनील साठे ने कहा कि, “हालांकि हमारा बैंक प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत पंजीकृत है और इस योजना के तहत उद्यमियों को ऋण भी वितरित किया है लेकिन हमने अभी तक सरकार से सब्सिडी की मांग नहीं की है। हमें इसमें संतोषजनक प्रतिक्रिया मिल रही है।

वहीं बेसिन कैथोलिक सहकारी बैंक के उपाध्यक्ष यूरी गोंसाल्व्य का मानना है कि इस योजना के तहत ऋण वितरित करने से एनपीए में वृद्धि होगी जो बैंक के लिए घातक है। “हमारे बैंक ने प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत ऋण नहीं दिया क्योंकि हमें लगता है कि इस योजना के तहत ऋण वितरित करने से एनपीए में वृद्धि होगी हालांकि हम इस योजना के तहत पंजीकृत है”, गोंसाल्व्स ने बताया।

मंगलवार को मुद्रा योजना पर बोलते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि, “12 करोड़ लाभार्थियों में से 28 प्रतिशत या 3.25 करोड़ पहली बार उद्यमी बने हैं। पीएम ने यह भी कहा कि 74 प्रतिशत, या फिर 9 करोड़ उधारकर्ता महिलाएं है और 55 प्रतिशत एससी/एसटी और ओबीसी श्रेणी के व्यक्ति है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस योजना को युवाओं, महिलाओं, और व्यापारिक लोगों को बढ़ावा देने के उद्देश्य से शुरू किया गया था।

अभी तक 12 करोड़ रुपये का ऋण किसी भी गांरटी और बिचौलियों की भागीदारी के बिना अनुमोदित किया गया है। मुद्रा योजना को कई साल पहले शुरू किया गया था इसके माध्यम से लाखों लोगों को अपना कारोबार स्थापित करने में मदद मिली है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि, “यह ऋण वाणिज्यिक बैंक, आरआरबी, लघु वित्त बैंक, सहकारी बैंक, एमएफआई और एनबीएफसी द्वारा दिया जाता है।”

अफसोस की बात यह है कि प्रधानमंत्री को किसी ने नहीं बताया कि सहकारी बैंकों ने इस योजना में शायद ही कोई भूमिका निभाई है और इसका प्रमुख कारण पूर्व और वर्तमान सरकार द्वारा इनकी लगातार उपेक्षा रही है।

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