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एनसीसीटी-एनसीयूआई में मेल मिलाप के आसार; दोनों पक्षों के बीच बैठक

इस बात के प्रबल संकेत हैं कि सहकारी संस्थाओं की शीर्ष संस्था एनसीयूआई ने एनसीसीटी को अलग करने के मुद्दे को कृषि मंत्रालय के साथ मिलकर हल कर लिया है और उम्मीद है कि जल्द ही अच्छी खबर मिलेगी।

इस प्रगति पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए एनसीयूआई के अध्यक्ष डॉ चंद्र पाल सिंह यादव ने भारतीय सहकारिता से कहा, हम मसले को हल करने के लिए लगातार प्रयासरत हैं और कृपया इससे अधिक और सवाल न पूछें

पाठकों को याद होगा कि, एनसीयूआई ने मंत्रालय के निर्णय को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी और इस मामले पर कई बार सुनवाई हो चुकी है लेकिन अभी तक कोई निष्कर्ष नहीं निकला। वहीं शीर्ष सूत्रों का कहना है कि दोनों पक्षों के बीच बैठक के बाद मामला सुलझेगा।  

जो लोग दोनों पक्षों से नेतृत्व के बीच तालमेल को बढ़ाने का प्रयास कर रहे हैं, उन्हें दोनों ओर से बाबुओं को शामिल करने पर आपत्ति हैविश्वस्त स्रोत ने भारतीयसहकारिता को बताया। 

भारतीयसहकारिता को पता चला कि मंत्रालय एनसीसीटी को शीर्ष निकाय एनसीयूआई को इस शर्त पर वापस देने पर सहमत हुआ है कि बोर्ड के 50 प्रतिशत सदस्य मंत्रालय द्वारा चयनित किये जायेंगे। समझौते के मुताबिकएनसीयूआई का अध्यक्ष 20 से अधिक सदस्यों वाले बोर्ड का चेयरमैन होगा। 

वर्तमान मेंकेंद्रीय कृषि मंत्री एनसीसीटी बोर्ड के अध्यक्ष हैं और अपर सचिव उपाध्यक्ष हैं। पुराने ढांचे की बहाली के साथ यह व्यवस्था समाप्त हो जाएगीजहां एनसीयूआई के अध्यक्ष प्रशिक्षण निकाय के प्रमुख होंगेस्रोत ने विश्वासपूर्वक बताया। 

जानकार सूत्रों का कहना है कि एनसीयूआई से एनसीसीटी को अलग करने का निर्णय पूर्व मंत्री राधा मोहन सिंह ने लिया थाजो एनसीसीटी और एनसीयूआई दोनों पक्षों के लिए निरर्थक साबित हुआ है। और तो और इससे एनसीसीटी में फंड की कमी हो गयी थी क्योंकि एनसीसीटी को पूर्ण रूप से सरकार का एक अंग बनाना कानूनी रूप से संभव नहीं था।

माना जाता है कि केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री पुरुषोत्तम रुपाला मामले को सुलझाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। उन्होंने इस संदर्भ मेंं एनसीयूआई अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव के साथ बैठक की थी और एक रोड मैप तैयार किया था। सूत्र ने दावा किया है कि इस महीने में घोषणा की जाएगी।

अटकलें हैं कि एनसीसीटी बोर्ड की 50 प्रतिशत सीटें सत्तारूढ़ भाजपा से जुड़े सहकारी नेताओं को मिलेंगीताकि सत्तारूढ़ पार्टी अपना सहकारी एजेंडा निर्धारित कर सके। सूत्र ने कहा कि सहकार भारती बोर्ड के गठन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाली है।

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