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एनसीयूआई: सेंटर ऑफ एक्सीलेंस के शुभारंभ में देरी

जानकार सूत्रों का कहना है कि नोएडा में एनसीयूआई के “सेंटर ऑफ एक्सीलेंस फॉर कॉपरेटिव ट्रेनिंग” इंस्टीट्यूट के उद्घाटन में विलंब हो सकता है। हालांकि बिल्डिंग का निर्माण कार्य पिछले साल शुरू हुई था और इस साल के आखिरी महीने तक समाप्त होने की संभावना थी लेकिन कोविड-19 के मद्देनजर निर्माण कार्य पूरा होने में थोड़ा समय लग सकता है।

इस बात की पुुष्टि करते हुए एनसीयूआई के सीई एन सत्यनारायण ने कहा कि, “हां, कोविड-19 के अलावा, कई अड़चन जैसे प्रदूषण के दिशा-निर्देशों सहित अन्य कारणों से निर्माण कार्य को समाप्त होने में देरी होगी।” बता दें कि एनसीयूआई के मुख्य कार्यकारी अधिकारी ने छह महीने के बाद निर्माण स्थल का जायजा लिया।

उन्होंने आगे बताया कि, “ठेकेदार अपने मजदूरों के साथ काम पर वापस आ गए हैं और काम अब फिर से शुरू हो गया है। पहले बढ़ते प्रदूषण के चलते एनजीटी ने एनसीआर क्षेत्र में सभी निर्माण गतिविधियों पर रोक लगा दी थी जिसके चलते ठेकेदारों को घर पर खाली बैठने पड़ा।”

बाद में, कोरोना संक्रमण को रोकने के लिए देशभर में लॉक डाउन के कारण सभी तरह की गतिविधियां रुकी रहीं और चौथे लॉकडाउन की शुरुआत में गृह मंत्रालय द्वारा दिशा-निर्देश जारी किए जाने के बाद निर्माण काम फिर से शुरू हुआसीई ने कहा।

सीई ने आगे कहा कि, अगर काम को निर्बाध चलने दिया जाए तो हम अगले तीन महीनों में बहुत कुछ हासिल कर लेंगे। “एक महीने तक का इंतजार करें और हम आपको निर्माण कार्य से जुड़ी गतिविधियों की तस्वीर भेजेंगे”, उन्होंने दावा किया।

पाठकों को याद होगा कि नोएडा प्राधिकरण से लीज पर ली गई जमीन पर एनसीयूआई सहकारी प्रशिक्षण के लिए उत्कृष्टता केंद्र का निर्माण कर रहा है। कई वर्षों तक निर्माण कार्य शुरू न होने से कई विपरीत परिस्थितियां उत्पन्न हो गयी थी।

इससे पहलेएनसीयूआई के अध्यक्ष चंद्र पाल सिंह यादव ने संस्था के उपाध्यक्ष बिजेंद्र सिंह और एनसीयूआई के कई अधिकारियों के साथ जायजा लेने के लिए स्थल का दौरा किया था। 

वहीं सूत्रों का कहना है कि, सड़क मार्ग से झांसी से दिल्ली आए चंद्रपाल ने बुधवार को पुनः एनसीयूआई के अधिकारियों से प्रगति के बारे में जानने और ठेकेदार के भुगतान के मुद्दों को हल करने की कोशिश की

यह भूमि वर्ष 2007 से एनसीयूआई के कब्जे में है। इसका क्षेत्रफल 3000 वर्ग मीटर है और यह बी-81, सेक्टर-80, नोएडा में स्थित है।यह भूखंड मूल रूप से 90 साल की अवधि के लिए लीजहोल्ड के आधार पर प्रिंटिंग प्रेस स्थापित करने के लिए एनसीयूआई को आवंटित किया गया था।

बाद मेंएनसीयूआई ने परियोजना को संशोधित किया और एक प्रिंटिंग प्रेस बनाने के अलावा, एक कौशल विकास प्रशिक्षण केंद्र और एक विश्व स्तरीय अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन-कक्ष बनाने का है। अन्य चीजों के अलावा, इसमें प्रयोगशाला और छात्रावास भी होगा।

परियोजना की अनुमानित लागत लगभग 12 करोड़ रुपये है और यह पांच मंजिला इमारत होगी।

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