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मेहता ने उच्चतम न्यायालय के फैसले का किया स्वागत

उच्चतम न्यायालय के फैसले का स्वागत करते हुए, नेफकॉब के अध्यक्ष ज्योतिंद्र मेहता ने कहा, “इस फैसले से 1540 शहरी सहकारी बैंकों को बड़ी राहत मिली है क्योंकि कई वर्षों से बहुत बड़ी संख्या में कर्जदार, ज्यादातर विलफुल डिफॉल्टर्स सरफेसी अधिनियम की व्याख्या में अस्पष्टता की आड़ में लाभ उठा रहे हैं और बकाया नहीं दे रहे हैं।” 

मेहता ने आगे कहा, “मुझे यकीन है कि इस प्रगति से शहरी सहकारी बैंकों का मनोबल बढ़ेगा, जिनमें से कई बैंक फंसे कर्ज (एनपीए) की राशि की वसूली करने में सक्षम होंगे।”

इस मुद्दे के इतिहास को खंगालते हुएमेहता ने कहा कि जब यह अधिनियम 15-20 साल पहले वाणिज्यिक बैंकों के लिए आया था तब सहकारी बैंकों ने उक्त अधिनियम में शामिल करने की जद्दोजहद की थी।

“यह अनुकूल निर्णय कई लोगों के कठोर प्रयास के बाद आया है। बकायेदारों से निपटने के लिए यूसीबी को नई ताकत मिली है और इससे एनपीए को कम करने में मदद मिलेगी”, नेफकॉब के अध्यक्ष ने कहा।

सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार को एक बड़ा फैसला सुनाया है। सर्वोच्च न्यायालय ने कहा कि सरफेसी अधिनियम सभी सहकारी बैंकों पर भी लागू होगा और इस तरह बैंक अपने कर्जों की वसूली के लिए गिरवी रखी गयी संपत्ति की नीलामी कर सकता है।

सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस अरुण मिश्रा की अगुवाई में पांच सदस्यीय संवैधानिक बेंच ने अपने अहम फैसले में कहा कि सरफेसी एक्ट की धारा-2 (1)(सी) में बैंक को परिभाषित किया गया है और सहकारी बैंक भी उस दायरे में आता है।

ऐसे में वह इस कानून की धारा-13 के तहत अपने कर्ज वसूली कर सकता है। इस एक्ट के तहत बैंक को अधिकार है कि वह डिफॉल्टर को नोटिस भेज सकता है और इसके बाद डिफॉल्टर अपनी संपत्ति को न तो बेच सकता है और न ही किसी और को लीज पर दे सकता है, बल्कि उस संपत्ति पर बैंक का अधिकार बन जाता है।

एक प्रसिद्ध वकील और भारत के सॉलिसिटर जनरल – तुषार मेहता ने गुजरात राज्य सहकारी बैंक के साथ-साथ गुजरात शहरी सहकारी बैंक महासंघ के लिए इस मामले का प्रतिनिधित्व किया।

सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया तुषार मेहता ने सहकारी क्षेत्र की ओर से प्रतिनिधित्व किया”नेफकॉब अध्यक्ष ने बताया।

बता दें कि करीब 160 से अधिक सहकारी बैंकों ने देश के विभिन्न न्यायालयों में प्रतिभूतिकरण अधिनियम के दायरे में उन्हें शामिल करने के लिए याचिका दायर की थी। इन याचिकाओं को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा क्लब किया गया था जिसने इस मामले की सुनवाई के लिए एक संवैधानिक पीठ का गठन किया था।

इससे पहलेसहकार भारती ने सभी शहरी को-ऑप बैंकों पर सिक्योरिटाइजेशन लागू करने के लिए सरकार से मांग की थी।

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