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कृषि उपज का सीधा विपणन कारगर : तोमर

कोरोना के खौफ के बीच कृषि उपज की डायरेक्ट मार्केटिंग को बढ़ावा देने के प्रयास कारगर साबित होते दिख रहे हैं।

पाठकों को याद होगा कि केंद्रीय कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने पूर्व में राज्यों के मुख्यमंत्रियों को एक पत्र भेजा था जिसमें सहकारिता और किसान उत्पादक संगठनों (एफपीओ), आदि के माध्यम से सीधे विपणन की आवश्यकता के बारे में बताया था।

विभाग ने राज्यों को एक एडवाइजरी भी जारी की कि वे बिना लाइसेंसिंग प्रक्रियाओं पर ज़ोर दिये ही सीधे विपणन को बढ़ावा दें और कृषि उपज को समय पर विपणन में किसानों को सुविधा प्रदान करें।

थोक बाजारों को अफरा-तफरी से मुक्त करने और आपूर्ति श्रृंखला को बढ़ावा देने के लिए, राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-एनएएम) के तहत दो मॉड्यूल – एफपीओ और वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग शुरू किए गए हैं।

एफपीओ सीधे ई-एनएएम पोर्टल के साथ व्यापार कर सकता है। वे चित्र/गुणवत्ता मापदंडों के साथ संग्रह केंद्रों से उपज विवरण अपलोड कर सकते हैं और बिना बोली मंडियों तक पहुंचने की सुविधा का लाभ उठा सकते हैं।

वेयरहाउस आधारित ट्रेडिंग मॉड्यूल में, किसान अपनी उपज वेयरहाउसिंग डेवलपमेंट एंड रेगुलेटरी अथॉरिटी (डब्ल्यूडीआरए) द्वारा पंजीकृत और डीम्ड मार्केट के रूप में अधिसूचित गोदामों को बेच सकते हैं। उपज को नजदीकी मंडियों में ले जाने की आवश्यकता नहीं होगी।

विभिन्न राज्यों ने डायरेक्ट मार्केटिंग को अपनाया है और कई उपाय किए हैं। कर्नाटक ने सहकारी संस्थानों और एफपीओ को राज्य में बाजार के यार्ड के बाहर कृषि उपज के थोक व्यापार में संलग्न करने के लिए छूट दी और तमिलनाडु ने सभी अधिसूचित कृषि उपज पर बाजार शुल्क में छूट दी है।

उत्तर प्रदेश जैसे राज्यों ने फार्म गेट से ई-एनएएम प्लेटफॉर्म में व्यापार करने की अनुमति दी और किसानों से सीधे खरीद के लिए प्रोसेसर को एकीकृत लाइसेंस जारी किया और एफपीओ को गेहूं की खरीद संचालन करने की भी अनुमति दी। राजस्थान ने व्यापारियों, प्रोसेसर और एफपीओ द्वारा प्रत्यक्ष विपणन की अनुमति दी।

व्यक्तियों, फर्मों और प्रसंस्करण इकाइयों के अलावा, मध्य प्रदेश ने मात्र रु.500/- के आवेदन शुल्क के साथ किसानों से सीधे खरीद के लिए बाजार-यार्ड के बाहर निजी खरीद केंद्र स्थापित करने की अनुमति दी है।

हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड और गुजरात ने भी किसी भी लाइसेंस की आवश्यकता के बिना सीधे विपणन की अनुमति दी है।

राजस्थान ने लॉकडाउन अवधि के दौरान प्रोसेसर को 1,100 से अधिक प्रत्यक्ष विपणन लाइसेंस जारी किए हैं, जिसमें किसानों ने सीधे प्रोसेसर को बेचना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में बाज़ार-यार्ड के रूप में घोषित 550 से अधिक पैक्स में से 150 पैक्स ने प्रत्यक्ष विपणन आरंभ कर दिये हैं और गाँव के व्यापारी व्यापार लेनदेन सफलतापूर्वक कर रहे हैं।

राज्यों से प्राप्त रिपोर्ट के अनुसार, सीधे विपणन ने किसान समूहों, एफपीओ, सहकारी समितियों और सभी हितधारकों को कृषि उत्पादों के प्रभावी और समय पर विपणन की सुविधा प्रदान की है।

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