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सहकार भारती सम्मेलन: मंत्री ने मुद्दों को उठाने का किया वादा

पिछले हफ्ते बैंगलूरु में आयोजित एक सहकारी सम्मेलन में आये कर्नाटक के 140 यूसीबी के प्रतिनिधियों ने सहकारी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को हल करने की मांग की। इस सम्मेलन का उद्दघाटन कर्नाटक के सहकारिता मंत्री एस टी सोमशेकर ने किया, जबकि इस मौके पर नेफकॉब के अध्यक्ष एमेरिटस एच के पाटिल मुख्य अतिथि थे और आरबीआई के निदेशक सतीश मराठे मुख्य वक्ता थे।

सम्मेलन के मुख्य अंशों को साझा करते हुए सहकार भारती के राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश वैद्य ने “भारतीयसहकारिता” से कहा, “सम्मेलन का उद्देश्य सहकारी बैंकिंग क्षेत्र से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने और उनके समक्ष चुनौतियों को जानने के लिए एक छत के नीचे कर्नाटक के कई यूसीबी और क्रेडिट सोसायटी के प्रतिनिधियों को लाना था”, उन्होंने कहा।

“सम्मेलन में राज्य के 140 यूसीबी से हजारों की संख्या में सहकारी नेता उपस्थित थे। वैद्य ने कहा कि सम्मेलन में 200 से अधिक सहकारी समितियों के प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।

वैद्य ने आगे कहा, “सम्मेलन का उद्घाटन केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा किया जाना था लेकिन किसी कारण से वह सम्मेलन में नहीं पहुंच सकीं।”

सम्मेलन को संबोधित करते हुए, कर्नाटक के सहकारिता मंत्री एस टी सोमशेकर ने इस मौके पर सहकारी क्षेत्र से जुड़े मुद्दों को अपनी सरकार के समक्ष उठाने का वादा किया।

मंत्री ने सहकारी नेताओं को आश्वासन दिया कि वह जल्द ही भारत सरकार और आरबीआई के साथ मिलकर उनकी समस्याओं का समाधान करेंगे। सहकार भारती ने इस अवसर पर यूसीबी, क्रेडिट को-ऑप्स और पैक्स के समक्ष मुद्दों की सूची सहित एक विस्तृत ज्ञापन मंत्री को सौंपा।

साइबर सुरक्षा, जोखिम प्रबंधन और प्रस्तावित अम्बरेला संगठन पर विशेषज्ञों द्वारा तीन तकनीकी सत्र आयोजित किए गए।

प्रतिभागियों में से एक ने “भारतीयसहकारिता” से कहा, “सम्मेलन सूचनाप्रद था और नेताओं ने मंत्री के समक्ष मुद्दों को ठीक से प्रस्तुत किया। हमें उम्मीद है कि संबंधित अधिकारी हमारे मुद्दों को हल करेंगे”।

सहकार भारती के राज्य अध्यक्ष एस आर सतीशचंद्र, गुरुनाथ जनतीकर, मनवी यूसीबी के थिमैया शेट्टी और अन्य ने मंत्री के साथ मंच साझा किया।

इस अवसर पर, सम्मेलन के संयोजक राजशेखर शेलवंत ने यूसीबी क्षेत्र के समक्ष मुद्दों के बारे में उल्लेख किया और आरबीआई, कर्नाटक सरकार और भारत सरकार के समर्थन की मांग की।

सम्मेलन के दौरान जिन मुद्दों पर चर्चा की गई, वे इस प्रकार हैं:

.  राज्यों के उदार सहकारी क़ानूनों, विशेष रूप से कर्नाटक सौहार्द सहकारी अधिनियम 1997, के तहत पंजीकृत सहकारी समितियों को आईटी अधिनियम, 1961 की धारा 2(19) के उद्देश्य के लिए “सहकारी समिति” के रूप में विचार नहीं किया जाना।

.  केवल सहकारी बैंकों पर लागू होने वाली 01-04-2007 से प्रभावी धारा 80पी(4) को आईटी अधिकारी द्वारा सभी सहकारी समितियों पर लागू करना।

  सहकारी समितियों द्वारा उनके आरक्षित निधियों के निवेश से ब्याज के रूप में अर्जित आय को अस्वीकार करना, दोनों वैधानिक या अन्यथा, जो कि राज्यों के क़ानून के तहत निवेश किया जाना आवश्यक है।

.   राज्य अधिनियमों के अनुसार सदस्यता पैटर्न को  विचार नहीं करना;

.  इनकम टैक्स एक्ट, 1961 की धारा 269ST: यह प्रावधान किसी व्यक्ति को  धारा में निर्दिष्ट के अलावा अन्य तरीकों से नकद (रु.2 लाख या अधिक) प्राप्त करने पर रोक लगाता है। लेकिन उक्त धारा सहकारी बैंकों को छूट देती है, सहकारी समितियों को नहीं। विभेदक व्यवहार – कानून के समक्ष समानता का उल्लंघन। – संविधान का अनुच्छेद 14।

.  आयकर अधिनियम, 1961 की धारा 269एसएस और 269टी : नकद में जमा की स्वीकृति और चुकौती।

.  नकद निकासी पर टीडीएस – एक बैंक में से एक करोड़ रुपये से अधिक की नकद निकासी के मामले में नई धारा 194एन लागू है।

.  अपील के समय राशि जमा करने में छूट।

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