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विश्व मत्स्य दिवस: सहकारी समितियों ने बटोरे ढेर सारे पुरस्कार

राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफ़डीबी), हैदराबाद और मत्स्य पालन, डेयरी और पशुपालन मंत्रालय ने संयुक्त रूप से “एनएएससी काम्प्लेक्स, पूसा, नई दिल्ली में हाल ही में विश्व मत्स्य दिवस-2019 के अवसर पर एक उच्च स्तरीय समारोह का आयोजन किया जहाँ कई सहकारी समितियों को उनके उत्कृष्ट कार्य-निष्पादन के लिए पुरस्कार दिये।

कुल मिलाकर 19 पुरस्कार दिए गए, जिनमें से छह पुरस्कार सहकारी समितियों ने जीते। पुरस्कार में एक प्रशस्ति पत्र, एक शॉल और 10 हजार रुपये का चेक था।

केंद्रीय मत्स्य, डेयरी और पशुपालन मंत्री गिरिराज सिंह के साथ संजीव बाल्यान और प्रताप चंद्र सारंगी सहित अन्य दो केंद्रीय मंत्रियों ने पुरस्कार प्रदान किये।

“सर्वश्रेष्ठ अंतर्देशीय मछुआरा समाज पुरस्कार” आंध्र प्रदेश स्थित  “सूर्यचंद्र मछुआरा सहकारी समिति” को मिला, जबकि सर्वश्रेष्ठ मछुआरा समाज/महिला एसएचजी पुरस्कार आंध्र प्रदेश स्थित “अंजनेया मछुआरा सहकारी समिति” को मिला।

इसी तरह, “बेस्ट मरीन फिशरमेन सोसाइटी अवार्ड” केरल स्थित नट्टिका एंगंडियूर कोऑपरेटिव सोसाइटी को और केरल स्थित माटीसाफेड को बेस्ट रिटेल फिश मार्केट सहित विभिन्न श्रेणियों में दो पुरस्कार मिले।

बिहार स्थित मछुआ सहकारी समितियों के शीर्ष निकाय के सदस्य समिति में से एक “कॉफेड” को फिशकॉफेड ने “सर्वश्रेष्ठ एक्वा-वन सेंटर” की श्रेणी में पुरस्कार दिया, जिसे समिति की ओर से ऋषिकेश कश्यप ने लिया।

तेलंगाना स्थित “तुकारामगेट फिशरवमेन कोऑपरेटिव सोसाइटी” को “बेस्ट फिशरवोमेन सोसाइटी/वुमन एसएचजी” अवार्ड प्रदान किया गया।

पुरस्कार विजेताओं को बधाई देते हुए गिरिराज सिंह ने अपने भाषण में क्षेत्र के विकास के लिए लक्ष्य का खुलासा किया और देश में मछुआरों द्वारा किए जाने वाले उत्पादन में लागत को कम करने का वादा किया।

उन्होंने कहा, “भारत में बहुत अवसर हैं लेकिन हम पिछड़ रहे हैं, जिसे सुधारने की जरूरत है। हम मत्स्य क्षेत्र को मजबूत करने के लिए एक नीति बना रहे हैं और जल्द ही नई योजनाएँ आएंगी जो किसानों के हित में होंगी”।

उत्पादन के बारे में बात करते हुए सिंह ने कहा, “अब तक हम समुद्री और अंतर्देशीय मत्स्य से 13 मिलियन मीट्रिक टन का उत्पादन कर रहे हैं,  लेकिन हम इसे पांच वर्षों की अवधि में 20 मिलियन मीट्रिक टन तक बढ़ाएंगे।  हमने मछुआरों की नौकाओं को मशीनीकृत करने के लिए निधि मंजूर की है।  भारत में खारा पानी मत्स्य के लिए बहुत बड़ी गुंजाइश है जो उत्पादन बढ़ाने के लिए उपयोगी साबित हो सकता है”।

हालांकि, सूत्रों का कहना है कि सिंह मछुआरों के लिए सामाजिक सुरक्षा और मत्स्य क्षेत्र में सहकारिता की भूमिका के बारे में अपनी टिप्पणी में उल्लेख करना भूल गए।

केंद्रीय मंत्री संजीव बाल्यान ने कहा कि एनएफडीबी, हैदराबाद को उत्तर भारत में काम करना चाहिए और मछुआरों को प्रशिक्षित करना चाहिए । इस अवसर पर फिशकॉफेड के एमडी बीके मिश्र सहित बड़ी संख्या में सहकारिता के लोग  उपस्थित थे ।

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