ताजा खबरें

मराठे के बाद, गडकरी का भी सहकारिता और एमएसएमई तालमेल पर जोर

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने एमएसएमई क्षेत्र को सहकारी बैंकों और क्रेडिट सहकारी समितियों की मदद लेने के लिए कहा है  ऐसा लगता है मानो उन्हें सहकार भारती के नेता और आरबीआई बोर्ड के सदस्य सतीश मराठे से प्रेरणा मिली हो।

चीन के अलीबाबा की तर्ज पर भारत क्राफ्ट” नामक मार्केटिंग पोर्टल बनाने का इरादा रखते हुएगडकरी ने उम्मीद जताई कि एमएसएमई क्षेत्र में व्यापार के तरीके पर पुनः विचार किया जाएगा। हम खरीदारों और विक्रेताओं के बीच एक सीधा इंटरफ़ेस प्रदान करेंगे”, उन्होंने कहा।

इससे पहले सतीश मराठे ने भारतीयसहकारिता.कॉम” से बात करते हुए कहा कि भविष्य में एसएमई और महिला उद्यमी यूसीबी के लिए परिचालन के क्षेत्र होने चाहिए। उन्होंने कहा कि बड़े कारोबारी इन दोनों क्षेत्रों का इंतजार कर रहे हैं।

विवरण देते हुए मराठे ने कहा कि 58 लाख एसएमई हैं और वे जीडीपी में 30 प्रतिशत का योगदान करते हैं। उन्हें न केवल वित्तीय, बल्कि अन्य सहायता की भी जरूरत है। 130 करोड़ की आबादी वाले देश को बहुत अधिक उत्पादन करने की आवश्यकता होगी और साथ में हमारे पास एसएमई और यूसीबी दोनों के लिए एक जीत की स्थिति हो सकती है”,- मराठे ने कहा।

इसी तरह, “महिला स्वयं सहायता समूह”( एसएचजी) विशाल व्यावसायिक गतिविधियों का एक स्रोत हो सकते हैं,- मराठे ने कहा। देश में 87 लाख एसएचजी हैं जिनका प्रबंधन सिर्फ पांच हजार गैर सरकारी संगठन कर रहे हैं। को-ऑप को राज्यों में कई आर्थिक गतिविधियों को चलाने और उन्हें वित्त और कौशल प्रदान करने की आवश्यकता है। इस संबंध मेंमराठे ने सहकार भारती द्वारा कुछ हजार एसएचजी चलाने के प्रयोग को याद किया जो अब तक बहुत सफल साबित हुए हैं।

मराठा ने कहा, “भारत में सहकारिता के पिछले 30-40 वर्षों में विकसित होने में विफल रहने का कारण है कि हम विकसित देशों की तरह अपने देश में नई पीढ़ी की सहकारी संस्थाएं लाने में असमर्थ रहे हैं।

भाषणों में गडकरी और मराठे के कथन की समानता ध्यान देने योग्य है। बिजनेस स्टैण्डर्ड की खबर के मुताबिकगडकरी ने कहा कि एमएसएमई लगभग 11 करोड़ लोगों को रोजगार देते हैं और अगले पांच वर्षों में इसे 15 करोड़ तक ले जाने की क्षमता रखते हैं।

गडकरी ने कहा, “हमें सहकारी बैंकोंगैर-बैंकिंग वित्त निगमों (एनबीएफसी)क्रेडिट कोऑपरेटिव सोसाइटीजस्मॉल इंडस्ट्रीज डेवलपमेंट बैंक ऑफ इंडिया (सिडबी) और राज्य सरकारों के वित्तीय निगमों के साथ भी काम करना चाहिए।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close