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एनएफडीबी की बोर्ड में सहकारी क्षेत्र से कोई प्रतिनिधि नहीं

देश-भर में फैली मत्स्य सहकारी समितियों से जुड़े एक भी सहकारी नेता को राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी) की पुनर्गठित बोर्ड में कोई जगह नहीं मिली।

ये दुख की बात है कि राष्ट्रीय मत्स्य विकास बोर्ड (एनएफडीबी), हैदराबाद की हाल ही में पुनर्गठित गवर्निंग बोर्ड में मत्स्य सहकारी क्षेत्र से कोई प्रतिनिधि नहीं हैं, सहकारी नेताओं ने कहा। पाठकों को याद होगा कि देश में 21 हजार मत्स्य सहकारी समितियां है जिससे सीधे 31 लाख लोग जुड़े हुए हैं।

सहकारी नेतागण का मानना है कि यह उन लोगों के साथ उचित नहीं हुआ है जो देश में नीली क्रांति को साकार बनाने में मत्स्य सहकारी क्षेत्र की भूमिका को निभाते हैं।

सहकारी मत्स्य क्षेत्र से जुड़े नेताओं ने इस बात को रेखांकित किया कि सरकार 2020 तक नीली क्रांति के सपने को साकार बनाने में अगर मत्स्य सहकारी समितियों का समर्थन लेती तो अच्छा होता।

“यह अफ़सोस की बात है कि मत्स्य सहकारी समितियों से एक भी सहकारी नेता को 53 सदस्यीय गवर्निंग बोर्ड में शामिल नहीं किया गया है। एक सहकारी नेता ने कहा कि इसका मतलब है कि 21 हजार मत्स्य सहकारी समितियों से सीधे 31 लाख लोग जुड़े हैं और नीली क्रांति में हमारे योगदान को नकारा गया है”।

कई अन्य सहकारी नेताओं ने कहा कि उत्तर, पूर्व, पश्चिम, दक्षिण, मध्य और उत्तर पूर्व क्षेत्रों से प्रतिनिधि होना चाहिए लेकिन पुनर्गठित बोर्ड में विशेष रूप से, सेंट्रल, नॉर्थ और नॉर्थ ईस्ट ज़ोन से कोई भी प्रतिनिधि नहीं है।

पाठकों को याद होगा कि सरकार ने मत्स्य पालन के लिए एक अलग विभाग बनाया है। नीली क्रांति की प्रप्ति के लिए सरकार सहकारी मत्स्य क्षेत्र को भी अपनी पहल में शामिल कर सकती थी, एक सहकारी नेता ने कहा।

केंद्रीय कृषि और किसान कल्याण मंत्री राधा मोहन सिंह हर समय इस तथ्य को रेखांकित करते है कि नीली क्रांति किसानों की आय दोगुनी करने में मदद करेगा फिर भी मत्स्य सहकारी क्षेत्र की गवर्निंग बोर्ड में पूरी तरह से अनदेखी की गई है। 

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