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इरमा: कुमार ने कॉपरेटरों से राष्ट्रीय हित के प्रति प्रतिबद्धता की मांग की

सहकार भारती, एनडीडीबी, और इंस्टीट्यूट ऑफ रूरल मैनेजमेंट आणंद (इरमा) ने संयुक्त रूप से  गुजरात के आणंद में डेयरी सहकारी समितियों को व्यवसाय उद्यमों के रूप में बढ़ावा देने के विषय पर दो दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया। इस सम्मेलन में नीति आयोग के उपाध्यक्ष राजीव कुमार मुख्य अतिथि थे।

मंगलवार को कॉन्क्लेव का उद्घाटन करते हुए डॉ कुमार ने राज्यों में सहकारी आंदोलन को मजबूत बनाने की बात की। कुमार ने कहा कि जब तक किसान सहकारी संरचना में एकजुट नहीं होंगे, तब तक उनके पास प्रतिस्पर्धा में बढ़त नहीं मिल सकती है।

कुमार को हाल ही में सहकारिता के विषय पर दिल्ली में सहकारी समितियों से जुड़े लोगों के साथ हाई वोल्टेज बैठक के आयोजन का श्रेय दिया जाता है। इस सेमिनार में कुमार ने कहा कि तकनीकी उन्नयन के अलावा, राष्ट्रीयता के मंत्र भी सहकारी समितियों की वृद्धि का एक महत्वपूर्ण कारक हो सकता है। “साल 1947 से समय काफी बदल गया है और सहकारी आंदोलन को भी बदलना  होगा”, उन्होंने जोर देकर कहा।

इरमा कॉम्प्लेक्स में बड़े पैमाने पर लोगों ने इस सम्मेलन में भाग लिया। नार्थ ईस्ट के राज्य, बंगाल, असम, बिहार और झारखंड से कई प्रतिनिधि आए थे और साथ ही  इस सम्मेलन में डेयरी विशेषज्ञ, शिक्षाविद, पशु चिकित्सक समेत अन्य लोगों ने शिरकत की।

इस सम्मेलन का उद्घाटन 12 मार्च को किया गया और  समापन 13 को किया गया। कॉन्क्लेव की अध्यक्षता राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) के अध्यक्ष दिलीप रथ ने की। अन्य गणमान्य व्यक्तियों में आरबीआई की सेंट्रल बोर्ड के सदस्य और वरिष्ठ सहकारी नेता सतीश मराठे भी उपस्थित थे। मराठे ने सभा को भी संबोधित किया।

इस अवसर पर बोलते हुए एनडीडीबी के चेयरमैन दिलीप रथ ने कहा कि डेयरी सहकारी समितियों का विकास राज्यों में एक समान नहीं है और राज्य स्तर पर प्रभावी सुधार की आवश्यकता है। यदि गुजरात के 100 प्रतिशत गांवों में डेयरी सहकारी समितियां है, तो झारखंड के गांवों में यह आंकड़ा मात्र 13 प्रतिशत है।

रथ ने यह भी कहा कि देश में लगभग 1.8 लाख गांवों में डेयरी सहकारी समितियां हैं और यह कुल संभावित गांवों का सिर्फ 60 प्रतिशत है, जहां डेयरी सहकारी आंदोलन सफल हो सकता है। 

इस सम्मेलन में डेयरी सहकारी समितियों की वर्तमान स्थिति, किसानों के दृष्टिकोण से उनके महत्व और अच्छे शासन, व्यावसायिकता, कानूनी ढांचे और सदस्य भागिदारी के संदर्भ में चर्चा हुई। विशेष रूप से आकांक्षी जिलों में फैले क्षेत्रों और गहराई के संदर्भ में सहकारी समितियों के दायरे को बढ़ाने के बारे में भी रणनीतिक चर्चा की गई।

पाठकों को याद होगा कि इरमा की स्थापना एनडीडीबी की पहल पर भारत सरकार, गुजरात सरकार और स्विस डेवलपमेंट को-ऑपरेशन के सहयोग से हुई थी।

इरमा वर्गीज कुरियन की इस मान्यता पर काम करती है कि पेशेवर प्रबंधन ही प्रभावी ग्रामीण विकास की कुंजी है। 

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