ताजा खबरें

जैविक खेती क्रांति: सिंह ने किया शंखनाद

केंद्रीय कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने सभी किसान समूह व गैर-सरकारी संगठनों को मिट्टी व पर्यावरण को घातक रसायनों के उपयोग से बचाने के लिए जैविक खेती को अपनाने की दिशा में पहल करने का आह्वान किया। उन्होंने किसानों से देश में जैविक खेती क्रांति लाने की बात कही।

सिंह ने कहा कि जैविक कृषि  किसानों को जीविका प्रदान कर सकती है और ग्रामीण व शहरी लोगों के लिए रोजगार सृजन के अवसर पैदा कर सकती है, यह बात उन्होंने मथुरा स्थित पंडित दीन दयाल धाम में राष्ट्रीय जैविक कृषि केन्द्र द्वारा आयोजित जैविक कृषि सम्मेलन को संबोधित करते हुए कही।

मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता में सुधार कर जैविक कृषि के माध्यम से लंबी अवधि तक उत्पादन किया जा सकता है। मंत्री ने बताया कि मोदी सरकार ने पहल करते हुए परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की है। 2015-2016 से 2018-19 की अवधि के दौरान किसान-समूह द्वारा जैविक कृषि को बढ़ावा देने के लिए 1307 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया, सिंह ने बताया।

पीकेवीवाई, आर्गेनिक वैल्यू चेन डेवलपमेंट मिशन (एमओवीसीडी) और वाणिज्य मंत्रालय के अधीनस्थ कृषि प्रसंस्करण एवं निर्यात प्राधिकरण (एपीईडीए) के सफल कार्यान्वयन के साथ, देश में अब तक 23.02 लाख हेक्टेयर क्षेत्र प्रमाणित जैविक खेती के तहत लाया जा चुका है।  

उन्होंने यह भी कहा कि वैश्विक बाजार में भारतीय जैविक उत्पादों की काफी मांग है। 2016-17 के दौरान, भारत ने 15 लाख टन जैविक उत्पादों का उत्पादन किया है जिसमें 3.64 लाख टन उत्पादों का निर्यात किया गया है, जिसका मूल्य 2478 करोड़ रुपये है जबकि घरेलू बाजार 2000 करोड़ के आस-पास है जोकि अगले तीन वर्षों में 10000 करोड़ रुपये तक पहुंचने का अनुमान है।

 सिंह ने हर्ष व्यक्त करते हुए कहा कि एनसीओएफ ने किसानों के लिए मल्टी-एक्शन कचरा अपघटक प्रौद्योगिकी विकसित की है।

मोदी सरकार जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है और देश में जैविक खेती के विकास के लिए किसानों को हर संभव मदद उपलब्ध करवाई जा रही है, सिंह ने दावा किया।

इससे पहले, राधा मोहन सिंह ने शिमला में आयोजित हिमालयी राज्यों के मुख्यमंत्रियों के सम्मेलन को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्रियों से जैविक खेती का बढ़ावा देने की बात की थी। सरकार की 50 एकड़ के क्लस्टर विकसित करने की योजना है जिसके लिए 90:10 के अनुपात पर धन उपलब्ध कराया जा रहा है। यह कदम उत्तर पूर्व क्षेत्र में कार्बनिक खेती में मूल्य श्रृंखला को बढ़ावा देने के लिए उठाया गया है, उन्होंने रेखांकित किया।

Tags
Show More

Related Articles

Back to top button
Close