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हिमाचल में विशाल सहकारिता सम्मेलन

हिमाचल प्रदेश में हाल ही में एक शानदार सहकारी सम्मेलन का आयोजन किया गया जिसका उद्घाटन राज्य के मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने किया और राज्य भर से आए 600 से अधिक प्रतिनिधियों ने इसमें शिरकत की। सम्मेलन में सहकारिता मंत्री डॉ राजीव साईजवाल और सचिव सहकारी समिति डॉ आर एन बट्टा भी उपस्थित थे।

इस सम्मेलन में सहकार भारती के संरक्षक सतीश मराठे को मुख्य वक्ता के रूप में आमंत्रित किया गया था। अपने फेसबुक पोस्ट पर मराठे ने अंग्रेजी में लिखा कि “हिमाचल राज्य सहकारी सम्मेलन के आयोजन स्थान पर पहुंचा। माननीय मुख्यमंत्री श्री जयरामजी ठाकुर सम्मेलन की अध्यक्षता करेंगे। सहकारिता मंत्री डॉ राजीव साजिल ने सम्मेलन के संयोजक है और इस मौके पर मैं वक्ता हूं”।

इस अवसर पर बोलते हुए राज्य के मुख्यमंत्री ने कहा कि तेजी से बदलते परिद्दश्य के मद्देनजर सहकारिता अधिनियम में बदलाव करने की तत्काल आवश्यकता है।

पाठकों को ज्ञात होगा कि सहकार भारती ने कई राज्यों के मुख्यमंत्री को इस विषय पर ध्यान केंद्रित करने को कहा है और पिछले सप्ताह ही पटना में सहकार भारती द्वारा आयोजित एक सम्मेलन मेें बिहार सरकार को 97 वें संशोधन को सहकारिता अधिनियम के अंतर्गत लाने की बात कही गई थी।

इस अवसर पर बोलते हुए हिमाचल के मुख्यमंत्री ने न केवल सहकारिता अधिनियम में संशोधन करने का वादा किया बल्कि सहकारी क्षेत्र के माध्यम से रोजगार के अवसर प्रदान करने और गरीबी खत्म करने जैसी बातें भी की। ठाकुर यह जानने को उत्सुक थे कि राज्य में पर्यटन को बढ़ावा देने में सहकारी समितियां किस तरह की भूमिका निभा सकती हैं और इस मामले में वे विशेषज्ञों की राय चाहते है।

अपने संबोधन में, मराठे ने देश में सहकारी संस्थाओं के आंकड़ों का जिक्र किया और कहा कि इस क्षेत्र में विविधता लाने की आवश्यकता है जो अभी कृषि क्षेत्र में अधिकतर सक्रिय है। अब समय आ गया जब सहकारी समितियों को मैन्युफैक्चरिंग और सर्विस सेक्टर में भी आगे आना चाहिए, मराठे ने रेखांकित किया।

कृषि उत्पाद के शेल्फ लाइफ में वृद्धि से किसानों को अच्छी कीमत मिल सकती हैं। मराठे ने कृषि उत्पादन के मूल्य में वृद्धि के लिए छोटे मोबाइल प्रसंस्करण इकाइयों के विचार का सुझाव दिया। “केवल एमएसपी देने से किसानों की आय में बढ़ोतरी नहीं की जा सकती”, उन्होंने स्पष्ट किया।

इस अवसर पर बोलते हुए, राज्य सहकारिता मंत्री डॉ राजीव साजिल ने कहा कि ऊना में 1892 में पहली राष्ट्रीय सहकारी संस्था अस्तित्व में आई थी। उन्होंने आए हुए प्रतिनिधियों से इस पर विचार करने को कहा कि आखिर हिमाचल प्रदेश सहकारिता के क्षेत्र में इतना पिछड़ कैसे गया।

इस अवसर पर विरेन्द्र कश्यप, सांसद, परमजीत सिंह, विधायक, के.एल.ठाकुर, राज्य संगठनात्मक सचिव, पवन राणा, डेज़ी ठाकुर, रशीम धर सूद समेत कई अन्य नेता मौजूद थे।

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